सब्जियों की दुकानों को लाकडाउन के उल्लंघन में फेंक दिया जाता है..कितने शर्म की बात है कि शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति मिल गई

सब्जियों की दुकानों को लाकडाउन के उल्लंघन में फेंक दिया जाता है..जो कि इंसान की रोजमर्रा की सबसे बुनियादी आवश्यकताओं में आता है सबसे महत्वपूर्ण कि ये किसान हमारी अर्थ व्यवस्था की रीढ़ हैं।किसान अपनी जीविका के लिए सब्जी बेचता है ये उसका रोजगार है फिर दिक्कत क्यों..वाह रे सोच..गरीब किसान ना जाने कितने दिनों की कड़ी मेहनत से उपजाता है और रातभर साइकिल पर ढोकर सुबह होते होते बाजार पहुंचाता है ताकि आप खा सके और इधर आप पलभर में बिखेर देते हैं..और कितने शर्म की बात है कि शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति मिल गई और सबने सोशल एंव फीजिकल डिसटेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए शराब खरीदी तो क्या ये न्यायसंगत था?..और  दूसरी तरफ क्या सचमुच सब्जी बेचनेवाले नियमों को ताक पर रख रहे..कैसी विडम्बना है जो सबके समझ से परे।इतने सारे स्वास्थ्य कर्मी और सभी कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डालकर रात दिन काम कर रहें हैं उनका तक ख्याल ना आया इन इंसानों को?


Roshni nirmala horo