प्रवासी मजदूरों की मौत ही हर सूचना एक सवाल छोड़ कर जा रही है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ?

कौन है इसका जिम्मेदार ?
--------------------------------
प्रवासी मजदूरों की मौत ही हर सूचना एक सवाल छोड़ कर जा रही है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ? आज ही यूपी में ट्रक दुर्घटना में 24 मजदूरों के मरने की खबर ने दिल दहला दिया l भूख प्यास थकान ,कमजोरी रेल सड़क दुर्घटना में अब तक मारे जा चुके 500 से ज़्यादा मजदूर घर पहुंचने के पहले ही काल के गाल में समा गए l  ये  दुर्घटनाए कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं है और ना खुदकुशी है l एक अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय ,कुप्रबंध  अव्यवस्था और राज्य की असंवेदनशीलता   है इसकी जिम्मेदार l सत्ता ने अपने अपने इर्दगिर्द सुरक्षा का मजबूत घेरा बनाकर मजदूरों को सड़क पर बदहवास दौड़ने के लिए छोड़ दिया l तपती हुई सड़क पर हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय करने वाले जगह जगह पुलिस से पिटे मुर्गा बनाये गए अनावश्यक रोके गए l उनके साथ बूढ़े थे , छोटे छोटे बच्चे थे  गर्भवती महिलाएं थी ,विकलांग  और बीमार लोग थे फिर भी वे चलते रहे  चलते रहे और जहां मौत आई वहां मर गए l


क्रिकेट खिलाडी तक की मोच पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री ने अपने पांच बार राष्ट्र को दिए संबोधन में इन मजदूरों की व्यथा पर एक शब्द भी नही बोला और ना मरते हुए मजदूरों के प्रति दुख व्यक्त किया l जबकि इस दौरान उन्होंने थाली बजवाई  दिया जलवाए  जिसे उनके भक्तों ने कोरोना फेस्टिवल के रूप में विश किया  l
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में निष्ठुर  निर्दयी और असंवेदनशील शासक का जब भी ज़िक्र होगा उसमें भारत के 16 वे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का नाम सबसे पहले आएगा l
आप माने या ना माने लेकिन मैं प्रवासी मजदूरों की हर मौत को हत्या मानता हूँ और इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदार मानता हूँ l


गोपाल राठी