पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले में पीड़ित मजदूर के घर में घुसकर सचिव एवं सहायक सचिव ने घर के एक-एक सामान की तलाशी लेकर उसे बेइज्जत किया

सौसर  -पूरे देश में लॉक डाउन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति  इस कदर खराब हो गई है कि  लोगों का अब कोरोना से तो दूर भूख से मृत्यु हो जाना तय है गरीब एवं मजदूर वर्ग के लोग तीन चरणों के लॉक डाउन में इस कदर परेशान हो गए हैं कि उनके घरों में राशन और अन्य आवश्यक सुविधाएं समाप्त हो गई हैं प्रशासनिक मदद भी नहीं मिल पाने के कारण अब यह लोग विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच एवं सचिव के चक्कर काटकर उनसे मदद की गुहार लगा रहे हैं परंतु ग्राम पंचायत स्तर पर भी भ्रष्टाचार के चलते सरपंच सचिव इन बेसहारा लोगों की कोई भी मदद करने के लिए तैयार नहीं है और यदि किसी मजबूर आदमी ने आर्थिक मदद के संबंध में उच्च अधिकारियों अथवा मुख्यमंत्री की हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई तो प्रशासनिक संरक्षण पाए सचिव एवं  कर्मचारी उनके घरों में पहुंचकर इस तरह से सर्चिंग कर रहे हैं जैसे पुलिस किसी अपराधी  के घर में घुसकर एक-एक सामान उठाकर बिखरा कर देखती है अब सरकार के नुमाइंदे मजदूर और सर्वहारा वर्ग के इन पीड़ितों कि सार्वजनिक बेज्जती भी कर रही है जिस पर जिला प्रशासन को संज्ञान लेना अब अत्यंत आवश्यक हो जाता है की आखिर किसी बेबस और मजबूर व्यक्ति के घर में घुसकर उसके घर की तलाशी ली जा कर जब उसे सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित एवं बेइज्जत किया जा रहा है उसकी गरीबी का मजाक उड़ाया जा रहा है प्रशासन अपने अधीनस्थ ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही कर रहा है यह एक विचारणीय प्रश्न है? एक ऐसे दौर में जब देश का हर आम आदमी संकट की घड़ी में बहुत ज्यादा परेशान यह घटना मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की के गृह जिले छिंदवाड़ा जिले की सौसर तहसील के ग्राम तीनखेड़ा के एक मजदूर दशरथ भुते परिवार की है जो क्षेत्र की ही औद्योगिक इकाई  प्रीमियर कंपनी में  मजदूर के रूप में कार्यरत था  लाख डाउन के कारण  कंपनी बंद है  और कंपनी द्वारा  उसकी मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया इस कारण मजदूर  की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होने के कारण उसने ग्राम पंचायत में सरकारी मदद की गुहार लगाई परंतु सरपंच सचिव ने उस गरीब की कोई मदद नहीं की बल्कि उसे आश्वासन देकर वापस लौटाते रहे आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान इस मजदूर ने जब इस संबंध में मुख्यमंत्री की हेल्पलाइन पर शिकायत कर मदद की गुहार लगाई तो उसे मदद देना तो दूर सरपंच ग्राम पंचायत तीन खेड़ा के सचिव एवं सहायक सचिव ने शिकायत की जानकारी की पुष्टि करने उस मजदूर के घर के अंदर तक घुस कर एक-एक सामान की तलाशी ली और उसके घर के सामान प्रत्येक बर्तन तक को चेक किया और सारा सामान बिखरा दिया इस घटना से आहत होकर उस मजदूर ने कागज और कलम उठा कर इस प्रशासनिक उत्पीड़न और अत्याचार के खिलाफ पूरी घटना की जानकारी लिखते हुए अपना दर्द व्यक्त किया है कि किस तरह प्रशासन के नुमाइंदों ने उसकी बेबसी लाचारी और गरीब होने का सार्वजनिक मजाक बनाकर उसे सार्वजनिक रूप से बेइज्जत करने का काम किया है और यदि उसके परिवार को और उसको कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जवाबदारी सचिव एवं सहायक सचिव की होगी यहां यह उल्लेखनीय है कि यह घटना  जिस मजदूर के साथ यह  घटित हुई है यह छिंदवाड़ा जिले के इतिहास की बेहद शर्मनाक और निर्लज्ज घटना है जिसने यह साबित कर दिया है कि जिला प्रशासन में बैठे आला अधिकारी जिन पर पूरे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को संभालने की जवाबदारी है उनके अधीनस्थ काम करने वाला अमला कितना गैर जिम्मेदार और क्रूर है जिसने इस वैश्विक महामारी के दौर में पीड़ित परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करना तो दूर उसकी गरीबी बेबसी और लाचारी का फायदा उठाते हुए उसे मानसिक रूप से ना केबल प्रताड़ित किया बल्कि उसकी हैसियत को सार्वजनिक कर उसको बेइज्जत किया और उसे तथा उस ग्राम के लोगों को यह एहसास कराया की सत्ता और प्रशासन कितना ताकतवर होता है कि वह उसके खिलाफ बोलने वाले की आवाज को किस तरह से दबाने की क्षमता रखता है यह उसका जीता जागता उदाहरण  है नवागत कलेक्टर को इस शर्मनाक घटना का संज्ञान लेते हुए संबंधित पंचायत कर्मियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराना चाहिए साथ ही उस पीड़ित परिवार को प्रशासनिक स्तर पर हर संभव मदद की जानी चाहिए यह घटना जिले के साथ-साथ पूरे देश के लिए शर्मनाक घटना है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है इस घटना के संबंध में  जिले के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी संज्ञान लेकर पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता दी जानी चाहिए साथ ही गैर जिम्मेदार कर्मचारियों के विरुद्ध का कार्यवाही करने की मांग कर यह एहसास दिलाना चाहिए की जनता का दमन करने वाले क्रूर और भ्रष्ट कर्मचारियों को प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग करने की इजाजत संविधान नहीं देता है इस घटना के संबंध में सौसर विधानसभा के पूर्व विधायक अजय चौरे ने संज्ञान लेकर अपनी फेसबुक वाल पर घटना का विवरण डाला है साथ ही जिले के शासकीय कर्मचारियों के संबंध में यह टिप्पणी भी की है कि शासकीय कर्मचारी जिस तरह से लोगों के घरों में जाकर उनके बर्तन चेक कर पीड़ितों का की बेज्जती कर अनाज बांट रहे हैं यह अधिकार उनको किसने दिया है लोगों की मदद करना शासकीय कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कर्मचारी मालिक नहीं बल्कि जनता के नौकर हैं और मालिक बनने का प्रयास ना करें
इनका कहना है
शासकीय कर्मचारी लोगों के घरों में जा कर बर्तन चेक कर बेइज़्ज़ती कर अनाज बाँट रहे ।यह अधिकार आपको किसने दिया ।लोगों की मदद करना आपकी ज़िम्मेदारी हैं ।आप मालिक एवं जनता नौकर नहीं हैं ।तिनखेडा के सचिव द्वारा अनुचित कार्य किया ।
अजय चौरे
पूर्व विधायक सौसर विधानसभा क्षेत्र
पीड़ित मजदूर के साथ किया गया बर्ताव अमानवीय है और बहुत ज्यादा निंदनीय कृत्य इससे साबित होता है कि प्रशासन के द्वारा मदद किए जाने के पूरे दावे खोखले हैं मजदूर की सार्वजनिक बेज्जती की गई है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही की जाए
रामराव महाले.... पूर्व विधायक सौसर
यह घटना बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है बेसहारा मजदूर के साथ किया गया बर्ताव की जितनी भी निंदा की जाए कम है दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए .....
देवराव पातुरकर
समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार सौसर