कम्युनिस्ट नेता वर्धराजन का निधन

#हमारे_के_वी 


स्मृति शेष....
के वी से आख़िरी मुलाक़ात 3 जनवरी को चैन्नई में सीपीएम राज्य मुख्यालय में हुयी थी।  हम अगली सुबह पोर्ट ब्लेयर जाने के लिए देर रात चैन्नई पहुंचे थे। जी रामाकृष्णन के अलावा के वी भी थे वहां - हमे पार्टी किचन में बिठाकर अपने सामने खाना खिलाया था।  बीच में पूछा भी कि कुछ बाहर से मंगाएं क्या ? बाद में अपने चिरपरिचित अंदाज में चुटकी लेते हुए बोले थे कि "कोई गलतफहमी मत पालना, हम तुम्हारे लिए नहीं आये नीना पहली बार आयी है इसलिए उसकी मेहमाननवाजी करने आये हैं."
● गजब के प्रत्युत्पन्नमति और हंसोड़ के हद तक मजाकिया थे के वी ; वे जहां होते थे उनकी चुहल मुस्कान बिखेर देती थी। हरेक को छेड़ते, हरेक से व्यक्तिगत दोस्ती गांठते, हरेक के बारे में कुछ न कुछ अतिरिक्त जानते हैं इस अंदाज में शरारती आँखों से उसे निहारते ही मिलते थे जब भी जहां भी मिलते थे के वी।  
● वे जितना मजाक कर लेते थे - उतना ही खुद पर सह भी लेते थे बिना भृकुटि ताने।  वे किसी से भी चुहल कर सकते थे तो उनसे भी कोई भी मजाक कर सकता था।   तीन जनवरी को जब उन्होंने पार्टी मेस के युवा को हड़काया था कि इन दोनों को सुबह 4 बजे चाय मिल जानी चाहिए और 5 बजे कार में बिठा देना तब उसने भी उन्हें लगभग उसी अंदाज में प्यार से जवाब भी दिया था। 
● उनके स्वभाव के बारे में इतना इसलिए कि इस मामले में वे हमारी पी बी में सबसे विलक्षण और मौलिक थे। मगर राजनीतिक सवालों पर एकदम स्पष्ट और खरे - सांगठनिक मामलों में जलेबी बनाने के सख्त खिलाफ - नो पेंडेन्सी इन आर्गेनाईजेशनल इशू - उनका वाच वर्ड था।  
● हमारे राज्य सचिव रहते हुए एक या दो टर्म वे हमारे प्रभारी रहे।  राज्य स्तरीय कमेटियों की मीटिंग्स के पहले अकेले में हम उनसे खूब लड़े भिड़े। अपनी राय के लिए आखिर तक लड़ना भिड़ना, उसके बाद जो आम राय बने उसे मानना इसी पार्टी ने सिखाया है।  के वी ने इसे कभी हतोत्साहित नहीं किया - कभी गाँठ नहीं बाँधी, हमेशा कामरेडाना भावना से लिया।  
● बाद के दिनों में अखिल भारतीय किसान सभा में वे हमारे उपाध्यक्ष थे हम उनके संयुक्त सचिव हुए - जगहें बदली थीं न के वी बदले थे न उनके अंदाज।
 ● आज दोपहर जब किसान आंदोलन की सूचनाएं जुटा रहे थे ठीक उसी बीच के वी के न रहने की खबर किसान सभा सेंटर से सुमित दा ने दी। सदमा लगा क्योंकि वे कभी बीमार नहीं रहे और उतने बुजुर्ग भी नहीं थे सिर्फ 72 के थे। #कामरेड_के_वरदराजन, आपके स्नेह के लिए आभार - आपके योगदान को लाल सलाम - आपकी स्मृति को नमन........


बादल सरोज