विश्वस्वास्थ्यदिवस

#7अप्रैल:#विश्वस्वास्थ्यदिवस!!
विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य की परिभाषा निम्न लिखित करता है
"किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवम आध्यात्मिक वेलबिइंग को स्वास्थ्य कहा जाता है" ज़रा सोचिए का इस परिभाषा में हम में से अधिकांश लोग फिट होते हैं, आत्मावलोकन करिएगा।मेरा उत्तर होगा नही क्योंकि इन चारों मानकों और मानदंडो पर हम सब पूरा नही हो सकते क्योंकि आदर्श हम हैं नही, उजड्ड, ज़िद्दी, क़ानून के न मानने वाले ,बातों का ग़लत मतलब निकालने वाले आदि आदि जिसके कारण बहुत सारी सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूग्णता स्पष्ठ दिखाई देती है, यदि शारीरिक स्वस्थ ठीक है तो भी।
आज देश जिस भयंकर महामारी से गुज़र रहा है वो न सिर्फ़ सोचनीय है बल्कि  घोर चिंता का विषय होने के अलावा हमारी स्वयं के उत्तरदायित्व और देश प्रेम और समर्पण का आवाह्न करने वाला।है। पर क्या हम निर्वाह कर रहे हैं?जो हमे शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा सामाजिक ,मानसिक और आध्यात्मिक हेल्थ दे या रहा है उत्तर है नही। हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी हम सब जानते हैं ग्रामीण क्षेत्रो में किस निम्न स्तर की है जहां सुविधाओं का अकाल तो है ही सवास्थ्य कर्मियों की कमी है तो आज के परिवेश में देशबन्दी शारीरिक व सामाजिक दूरी बनाए रखना ही हमारा एक समर्पण और उत्तरदायित्व है जो हमे, हमारे अपनो और सभी को इस भयंकर महमारी से बचा सकेगा। 
पर क्या हम सब ऐसा कर पा रहे हैं? दुर्भाग्य से उत्तर है नही। 20 से 25 दिनों में हुई घटनाओं को ज़रा ग़ौर से देखें।15 लाख विदेश से लाये गए अमीर लोग कहाँ गए जिन्है क्वारंटाइन किया जाना अनिवार्य था, जहां देश मे #कोविड19 अपनी चपेट में ले रहा था वहीं नफ़रत के ज़हर, फेक न्यूज़ की बदौलत एक विशेष सम्पदाय को इतनी नफ़रत पूर्ण रवय्ये से ,निर्लज्जता से और ग़ैर ज़िम्मेदाराना आपराधिक मीडिया द्वारा मुश्किल घड़ी।में बांटने की कोशिश की जा रही है जैसे #निज़ामुद्दीनमरकज़ ने  या मुसलमान ही इस महामारी का जिम्मेदार है। इस वैमनस्य और ईर्ष्या के क्या दुष्परिणाम हो सकते है इसकी परवाह किये हुए मीडिया फंसे और छुपे जैसे कुटिल भाषा से देश के नागरिकों की मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक स्वस्थ को न ठीक हो सकने की हद तक बीमार किया है। मैं इस से इत्तिफ़ाक़ करता हूँ कि मरकज़ की तरफ से चूक और शायद दिल्ली सरकार और केंद्र की ढील की वजह से देश मे कोरोना के कई मरीज़ों का संबंध मरकज़ से लौटने से हुआ हो, लेकिन मंदिरों में भी बहुत सारे श्रद्धालु मंदिरों में फंसे हुए हो सकते हैं,गुरुद्वारा में भी फंसे थे, कई जगह हिन्दू धार्मिक भीरू लोगों ने भी ज़िद की वजह से या धर्मांधता के कारण लॉक डाउन को सफल बनाने में सहयोग नहीं किया क्योंकि आपने खुद देखा कि 13वीं की पार्टी।में 1500 लोगों को भोजन कराया गया,कल ही किसी चर्च के पादरी को गिरफ़्तार किया गया, मजनू का टीला गुरुद्वारे से 206 फंसे लोगों को निकाला गया, 3 दिन पहले ही हृषिकेश से 2 बसों में सवार विदेशी लोग बसों में सोशल डिस्टेनसिंग की माँ बहन एक कर रहे थे, हरिद्वार से सैकड़ों गुजरतिओं को कई बसों से गुजरात पहुंचा दिया गया, 23 मार्च तक संसद ही चली । अचानक हुई जनता कर्फ़्यू में किस तरह थाली ,घंटा बजाते हुए डांडिया जलूस या भाजपा के कई नेताओं की जन्मदिन की पार्टी की भीड़ आपने देखा ही है, जिसे मुसलमानों से नफ़रत के आकंठ।में डूबे मीडिया ने दिखाने की ज़रुरत तो महसूस न कि बल्कि पोलिस द्वारा झूठी ख़बर फैलाने से बाज़ आने की चेतावनी भी दी।स9चिये ज़रा हम सब ऐसे कठिन आपदाकाल में हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य की परिभाषा को परिभाषित कर पा रहे हैं , या कर पाएंगे। वो देश जहां 7, 8 लोगों के पास 80 प्रतिशत से ज़्यादा दौलत पहले ही क़ैद।में हों वहां सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य कभी आदर्श हो नही सकता लेकिन इसे ठीक करने की कोशिश हर नागरिक कर रहा होता है, पर इस नफ़रत के अजगर से हम कैसे बचेंगे इस सवाल के साथ आपको छोड़े जा रहा हूँ आस्था , धार्मिक विभेद, मान्यताओं की विभिन्नता के बाद भी देश आपसे नागरिक होने का आवाहन भर कर रहा है । प्रधानमंत्री जी अपनी हर कोशिश से आपको कठिन समय से लड़ने को प्रेरित कर रहे हैं। और आप देशबन्दी मे घर मे रहकर स्वयं को, उनको, सबको बचाने में क्रांतिदूत ही की भूमिका में योगदान करिए और विश्व स्वस्थ्य संगठन की परिभाषा को संपूर्णता के साथ हासिल करने का प्रयास करें । और हां! डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस वालों ,सफ़ाई वाले, नर्सेज़, और सब्जी वालो ग्रोसरी वालों से सहयोग ही नही उनका धन्यवाद करिए जो अपनी ज़िंदगी को दांव पर लगा के हम सब के स्वस्थ रहने की गारंटी में रखने की कोशिश में दिन रात लगे हैं।
नफ़रत की फसल कटने के बाद चारों तरफ़ सिर्फ बंजर ज़मीने रह जाएंगी फिर आपको नफ़रत करने को भी कोई न मिलेगा और हमने ख़ुद से नफ़रत करना अब तक सीखा नही अपनी  अमानवीय हरकतों पर। इसलिए स्वस्थ्य रहिये, घरों पर रह कर देशवासियों को भी सुरक्षित रहिये इस भयंकर आपदा को मिल जुल कर परास्त करें। इसी दृढ़ संकल्प से हम कोरोना बीमारीं को हरा सकेंगे और एक बार फिर मेरा देश दुनिया के विकासशील देशों साधन संपन्न देशों से भी जल्दी मुक्त हो कर विकास पथ पर चल पड़ेगा।आप सब को विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं !!!!


डॉ ख़ुर्शीद अहमद अंसारी
चिकित्सक यूनानी एसोसिएट प्रोफ़ेसर
जामिया हमदर्द नई दिल्ली