वे उत्सव मनाते हैं !

वे 
उत्सव मनाते हैं
तुम्हारी आस्था का
तुम्हारी अज्ञानता का
तुम्हारी मासूमियत का
तुम्हारी कायरता का


वे
उत्सव मनाते हैं
अपनी सत्ता का
अपनी दबंगई का
अपनी धूर्तता का


वे
तुम्हारे नाम पर
तुम्हारे लिये 
तुम्हारे भगवान का
उत्सव मनाते हैं !


वे
तुम्हारे भगवान के लिये
तुमको पागल बनाते हैं
वे तुमको ही 
तुमसे लड़ाते हैं,
मारते और मरवाते हैं !


वे
तुम्हारे भगवान को
तुमसे छीनकर
खुद
भगवान बनते हैं !
तुमको डराते हैं !


वे
उत्सव मनाते हैं
तुम्हें डर से 
पागल बना कर 
सबको डराते हैं ।


(सरला माहेश्वरी )


@ Arun Maheshwari