उस तक ये सवाल कैसे पहुँचे.. ये एक चुनौती है जो हम सबके सामने है..

फेसबुक एक बंद यानी फिल्टर्ड दुनिया है, यानी 90% एक ही विचार के लोग आस पास हैं। विरोधियों या असम्बद्ध की अलग दुनिया है..वो भी लाखों में हैं मगर उनतक हमारी कोई बात नहीं जाती,इसलिये ये प्लेटफार्म  उत्साह बढ़ाने,योजना बनाने या सूचना देने के लिये तो ठीक है..मगर संवाद द्वारा "बदलाव" या तथ्य विस्तारित करने में इसकी कोई भूमिका नहीं...फिर भी बिना गहरी रिसर्च,आंकड़ा आदि की ज़बान में गये सीधे -सरल ज़ुबान में लिख रहा हूँ..इस पसोपेश में कि ये हर शख्स तक कैसे पहुँचे..


1- कोरोना महामारी सिर्फ मोदी सरकार की पुरानी आर्थिक असफलताओं और पूंजीपरस्त बेईमानियों को ढकने का बहाना नहीं थी बल्कि उससे बड़ी समस्या थी,जिसे मोदी सरकार ने लापरवाही से लिया और अब स्थिति खतरनाक है।


2- मोदी सरकार ने अपने प्रभाव और दबाव का इस्तेमाल करते हुये सभी अखबार-चैनल्स पर सिर्फ सरकार के हवाले से "पोज़िटिव" खबरें बाहर लाने का माहौल रच दिया है, इसलिये न तो सरकार की चूक सामने आ रही है ना सही हालात। 


3- जब लोग अपनी जेब से परेशान हाल को खाना खिला रहे हैं, उस माहौल में भी सरकारी बेईमानी /कमीशन खोरी जारी है,जिसकी एक झलक इत्तेफ़ाक़ से हाईकोर्ट के विवाद से सामने आ गयी है, बाकी जगह का हाल क्या होगा ?


4- प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष के बारे में भरम फैला कर PM केयर फंड बनाना खुद में एक संदेह था। पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिंह का बयान आया है कि सरकार को ऐसे मामलों में और पारदर्शी होना चाहिये पर हजारों-लाखों करोड़ के PM केयर फंड का ऑडिट भी नहीं होगा, ये बहुत बड़े धोखे का संकेत है


5- पोलिस बेलगाम है, मोदी या सत्ता के खिलाफ मामूली खबर लिखने वालों को भी बिना कागज़- FIR के उठाया और जेल भेजा जा रहा है (एक यू ट्यूब चैनल के पत्रकार की गिरफ्तारी का वाकया बाहर आया है)


6- कोरोना विपत्ति का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ने की घटिया साजिश रची गयी। जितने भी वीडियो -ख़बर वायरल हुये जिन्हें देखकर आम जनता नाराज़ हुई वो सब के सब झूठे,पुराने या दूसरे संदर्भ के निकले।आखिर ये सब किसने किन मंशा के तहत किया। सरकार ने कभी इनका खंडन क्यों नहीं किया।


7-उधर कोरोना का असली ख़तरा अहमदाबाद जैसी जगहों पर बढ़ा जहां नमस्ते ट्रम्प का गैर जिम्मेदाराना आयोजन हुआ था। उन खबरों को लगातार छुपाया गया।


8- अब विपक्ष और उसके कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी है कि कैसे इन चैनल-अखबार के झूठ और दबदबे से निकल कर जनता और खास तौर पर चैनल-अखबार को ही पूरा सच मानने वाली जनता तक पहुंचाये ताकि दबाव महसूस करके सरकार कोरोना के  मामले में सही तथ्य सामने लाये। भ्रष्टाचार करते हुये लोग डरें और विपक्ष/ जनता तथा पत्रकारों में भी कड़े सवाल पूछने और छापने की हिम्मत आये
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सरकार विरोधी ये सारे तथ्य मय कंटेंट-डिटेल्स के जानते ही होंगे। सरकार समर्थक जनता को भी ये जानना चाहिये, उस तक ये सवाल कैसे पहुँचे.. ये एक चुनौती है जो हम सबके सामने है..


#ठोस_राय_या_तरीक़े_बताइये_और_अमल_भी_करिये


दीपक कबीर