श्रमिकों के देश भारत में भाजपा कभी मजदूर के लिए रत्तीभर काम नहीं किया है. बल्कि श्रमिकों के जीवन में प्रहार ही किया हैं

लाॅक डाउन और मौत होते मजदूर बच जाएगे वो कोरोना से मर जाएगे. कुछ दिन पहले बड़ी नाटकीय तरीके से मजदूर के 44 कानून से 4 गायब हो गयें मात्र 4 ही बचें. मजदूर के विना व्यवस्था के चौकीदार, चायवाला ने लाॅक डाउन कर दिया और मरने के लिए सड़क पर छोड़ दिया.


गौरवशाली इतिहास मजदूर के संघ की रहीं हैं. झारखंड में मजदूर पर गीत बहुत बने हैं- रांची शहर को कौन कौन बनाया मजदूर ने मिलकर बनाया! जहाँ हम सब देश को आगे ले जाने के लिए सुकून से रहते हैं अपने परिवार को रखते हैं. यह सुकून भरा जीवन कड़ी श्रम कर के बना है.गौरवशाली इतिहास मजदूर के संघ की रहीं हैं. झारखंड में मजदूर पर गीत बहुत बने हैं- रांची शहर को कौन कौन बनाया मजदूर ने मिलकर बनाया! जहाँ हम सब देश को आगे ले जाने के लिए सुकून से रहते हैं अपने परिवार को रखते हैं. यह सुकून भरा जीवन कड़ी मेहनत कर के बना है.
श्रमिकों के देश भारत में भाजपा कभी मजदूर के लिए रत्तीभर काम नहीं किया है. बल्कि श्रमिकों के जीवन में प्रहार ही किया हैं. भाजपा की मोदी सरकार श्रम विरोधी रही हैं. सत्ता में आते ही 44 श्रम कानून को खत्म कर उसकी जगह, 4 श्रम संहिता (कोड़) बनाने का काम पूरा कर लिया. एक वेज कोड़ संसद में पास करा लिया गया हैं, जबकि तीन कराया जाने वाला है. चार महत्वपूर्ण श्रम कानूनों- न्यूनतम वेतन अभिनय, वेतन भुगतान अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान पारिश्रमिक अधिनियम की जगह अब वेतन सहित ( वेज कोड) ले चुका है.
इसके अलावा 13 कानून को समाप्त कर मनमाने तरीके से बनाने गये जिसमें #पेशेवर सुरक्षा एक्ट, #स्वास्थ्य एवं कार्यशाला संहिता में 13 श्रम अधिनियमों, फैक्ट्री एक्ट 1948, माइन्स एक्ट 1952, डाॅक वर्कर्स सेफ्टी एक्ट 1986, निर्माण मजदूर एक्ट 1996, प्लांटेशन  लेवर एक्ट 1951, ठेका मजदूर एक्ट 1970, प्रवासी मजदूर एक्ट 1979, श्रमजीवी पत्रकार एक्ट 1958, पत्रकार वेतन निर्धारिण एक्ट 1958, मोटर  टांन्सपोर्ट वर्कर एक्ट 1961, सेल्स प्रमोशन एक्ट 1979, बीड़ी एवं सिंगार वर्कर्स  एक्ट 1986, एवं सिनेमा वर्कर्स एक्ट 1981 को समाप्त कर कु-तार्किक एवं अमानवीय ढंग से  यह संहिता बनाया गया हैं जो जीवन जीने का अधिकार भी छीनने जैसा प्रावधान से युक्त हैं.


अलोका कुजुर