#लॉकडाउन_जीवन_बचाने_के_लिए_है_तो_बचाइए_ना_सर
#लोकडाउन_में_घरेलू_कामगार_महिलाओं_की_स्थिति
हम बात कर रहे हैं उन महिलाओं की जिन्हें हम घरेलू कामगार महिलाएं कहते हैं या सामान्य भाषा में कहें तो हम बाई कह कर बुलाते हैं यह महिलाएं घरों में जाकर झाड़ू पोछा करती हैं ..,..बर्तन साफ करती हैं ..
खाना बनाती है.... इन्हीं की वजह से कई नौकरी पेशा लोग समय पर नौकरी कर पाते हैं और यह महिलाएं कुछ आमदनी होने पर उन पैसों से जैसे तैसे ही सही अपने घर का गुजारा करती हैं उन पैसों से राशन भर्ती हैं अपने बच्चों को पालती हैं.... घरों में काम करना इनका शौक... नहीं इनकी बहुत बड़ी जरूरत है..... लेकिन आज lockdown का 34 वां दिन है यह सारी की सारी महिलाएं परेशान है दुखी हैं इन्हें कोरोना से ज्यादा चिंता भूख से लड़ाई की है ,यह लोगों के घरों के बर्तन साफ करती हैं लेकिन इनके अब घर के कनस्तर बिना राशन के साफ हो चुके हैं मालिक इनको मना कर चुके हैं काम पर मत आओ, मालिक पैसे देने को तैयार नहीं है
सरकार ने घरेलू कामगार महिलाओं के कार्ड जरूर बनाया था लेकिन आज इस महामारी के समय पर भी उस कार्ड से इन महिलाओं को किसी भी तरह की कोई राहत नहीं है कई जगह पर कंट्रोल से 10 किलो आटे के पैकेट जरूर मिले हैं लेकिन 5 लोगों का परिवार उसमें 10 किलो आटा उसमें गुजारा कैसे हो? 10 किलो आटे में आखिर जिया कैसे जा सकता है ?उसमें भी जब संगठन की ओर से अधिकारियों से बात करो तो वह बड़े ठसक से बोलते हैं राशन पहुंचा दिया है मैडम , राशन का मतलब सच में समझते हैं आप ? ग्वालियर में तो और भी ज्यादा महानता 10 किलो में भी जनता का 2 किलो आटा चुराने से बाजना आए
जो किराने की दुकान खुली है उनमें बिकता सामान दुगनी तिगने कीमत पर पहुंच चुका है पैसे सारे खत्म हो चुके हैं
इस महामारी में लॉक डाउन जनता के जीवन को बचाने के लिए किया गया है अगर हम जीवन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं तो जीवन बचाइए सर ....जरूरतमंदों को राशन और आर्थिक मदद मुहैया करानी पड़ेगी खास करके असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को ....
हमारी मांग है की
राशन की दुकान से 16 जीवन उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराई जाए
महिलाओं को₹5000 की आर्थिक सहायता दी जाए
रीना शाक्य