कोविड-19 के क़हर से  परेशां है सारा जहां,  पटाखों के शोर में  जश्न मना यहां-वहां।

निःस्तब्ध है ये जमीं
 निःस्तब्ध है ये आसमां,
 दीये की लौ में 
 जले कई-कई अरमां।


 कोविड-19 के क़हर से
 परेशां है सारा जहां,
 पटाखों के शोर में
 जश्न मना यहां-वहां।


 जो मंजर यहां दिखा
 यह नहीं सद्भावना,
 जब मृत्यु निकट खड़ी
 तो, कैसे करूं सराहना।


 हम बेचैन हैं बहुत
 सामने संकट खड़ी, 
 कैसे इनसे हम बचें
 फ़िक्र है यह सबसे बड़ी।


 साथ सबका चाहिए 
 सहयोग की गुहार है,
 मौत के आंकड़े बढ रहे 
 'देवदूत' की ये पुकार है।


डाॅ.चित्रलेखा