केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत

कोरोना संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने दो वर्ष के लिए सांसद निधि और विधायक निधि पर रोक लगा दी है l मैं इसका ह्रदय से स्वागत करता हूँ और मांग करता हूँ कि यह हमेशा के लिए बन्द की जानी चाहिए l इस निधि के उपयोग की कोई सुविचारित योजना नहीं होती इस लिए यह  व्यक्तिगत कृपा बरसाने का जरिया बन गई है l 


इस सबन्ध में तीन वर्ष पहले फेसबुक पर पोस्ट की गई अपनी पोस्ट को आपके अवलोकन  हेतू  पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ l कृपया देखें और विचार करें l


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*रहीम एक बहुत बड़े दानवीर थे। उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे।*
          
*ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये रहीम कैसे दानवीर हैं। ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है।*


*ये बात जब तुलसीदासजी  तक पहुँची तो उन्होंने रहीम को चार पंक्तियाँ लिख भेजीं जिसमें लिखा था* -


*ऐसी देनी देन जु*
*कित सीखे हो सेन।*
*ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ*
*त्यों त्यों नीचे नैन।।*


*इसका मतलब था कि रहीम तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो? जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूँ झुक जाते हैं?*


*रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो रहीम का कायल हो गया।* 


*रहीम ने जवाब में लिखा* -


*देनहार कोई और है*
*भेजत जो दिन रैन।*
*लोग भरम हम पर करैं*
*तासौं नीचे नैन।।*


*मतलब, देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है। परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूँ रहीम दे रहा है। ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखें नीचे झुक जाती हैं।*


यह प्रसंग  उन विधयाको और सांसदों के लिए जो सांसद और विधायक निधि से दिए गए सहयोग में अपना नाम इतने बड़े अक्षरों में लिखवाते है कि बाकि सब गौण हो जाता है l ऐसा लगता है वे अपने घर के पैसे खर्च करके जनता पर अहसान कर रहे है l जबकि सांसद या विधायक निधि सरकारी धन है जो अंतत: जनता का ही है 


* नीचे यात्री प्रतीक्षालय के दो चित्र है l एक विधायक निधि से बना है , दूसरा विधायक निधि से नहीं बना है l लेकिन दोनों में पैसा शासन का ही  खर्च हुआ है l शासन का धन ना किसी जनप्रतिनिधि का होता है और ना किसी पार्टी का l पार्टी और व्यक्ति के प्रचार के लिए सरकार के धन का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए l


इस  पोस्ट में संदर्भ के लिए पिपरिया के यात्री प्रतीक्षालय के फ़ोटो का उपयोग किया गया है l यह किसी विशेष सांसद या विधायक नहीं बल्कि एक प्रवृत्ति की ओर इशारा है l मैंने कुछ क्षेत्रों में विधायक निधि से प्रदत्त किये गए वाटर टेंकर देखें है जो भाजपा या कांग्रेस के झंडों के रंग से सुसज्जित थे l विधायक का बड़े बड़े अक्षरों में नाम लिखे शव वाहन (मुर्दा गाडी ) भी देखा है l विकास की योजना शासन स्तर पर बनती है इन योजनाओं में जहाँ गेप रह जाता है उसकी भरपाई के लिए , आपदा और आकस्मिक कार्य के लिए इसका उपयोग हो तो ज़्यादा उपयोगी होगा l विधायक या सांसद निधि को खैरात में बाँट कर श्रेय लेने से समाज को कोई ख़ास फायदा नहीं होता l यह जनता का पैसा है जिसका उपयोग सोच समझकर योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए l यह बात समस्त सांसदों और विधायकों के लिए है l


गोपाल राठी