जिस दवा रेमडेसिवियर को कोरोना वायरस का तोड़ बताया जा रहा है और उसे एक अवतार की तरह पेश किया जा रहा है असल में वो एक एंटी-बायोटिक दवा है

जिस दवा रेमडेसिवियर को कोरोना वायरस का तोड़ बताया जा रहा है और उसे एक अवतार की तरह पेश किया जा रहा है असल में वो एक एंटी-बायोटिक दवा है जिसका फार्मूला C27,H35,N6,O8,P है अर्थात कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, और फास्फोरस !


अब इस जटिल भाषा को आम इंसान तो समझ नहीं पाता अतः इसे आसान भाषा में समझिये कि कोयले चुने और जस्ते में मिलाकर एक दवा दी जा रही है ताकि जैसे ही दवा आपके पेट में पहुंचकर घुले उसमे मौजूद ऑक्सीजन कार्बन के साथ अपनी यौगिक क्रिया करके कार्बन-डाई-ऑक्साइड का निर्माण करे (आप सबको शायद ही मालूम होगा कि हमारे शरीर में पहले से 18.5% कार्बन-डाई-ऑक्साइड होता है जो अनेकानेक माध्यमों से हमारे शरीर में पहुँचने वले विषाणुओ से लड़ने का काम करता है)


ऑक्सीजन नाइट्रोजन के साथ मिलकर नाइट्रस ऑक्साइड का निर्माण करता है (बहुत से लोग जानते होंगे कि इसे गैसीय रूप में लाफिंग गैस कहा जाता है और मेडिसिन में इसे जुकाम आदि के लिये इस्तेमाल किया जाता है और यही कारण है कि रेमडेसिवियर लेने के बाद व्यक्ति की उदासीनता चली जाती है और वो खुश यानि निश्चिंत सा हो जाता है और आपने सुना तो होगा ही कि  बीमारी से ज्यादा उसका डर जानलेवा होता है और जब आदमी निश्चिंत हो जाता है उसे डर भी नहीं लगता) 
अर्थात 
आपके रोग का इलाज करने के बजाय शरीर में केमिकल लोचा करके आपको मानसिक रूप से जबरन खुश  किया जाता है ताकि आपको दवा बहुत ज्यादा असरदार लगे और आप उसे महंगे दामों में खरीदकर बनाने वाली कम्पनी को अनाप शनाप लाभ पहुंचा सके ! 


असल में रेमडेसिवियर दवा रोगी के फेफड़ो पर असर डालती है जिससे उसका रक्तप्रवाह बढ़ जाता है और उसे श्वास लेने में दिक्कत नहीं होती लेकिन असल में ये कोरोना के लिए सटीक दवा बिलकुल नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस आरएनए वायरस है जो शरीर में मौजूद डीएनए में मौजूद प्रोटीन के साथ मिलकर एक नया जीनोम बनाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक साथ दो-दो दुश्मनो के साथ लड़ना पड़ता है जिससे व्यक्ति की इम्युनिटी लगातार टूटती जाती है (क्योंकि एक तो ये प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये बिल्कुल नया दुश्मन है जिससे उसका सामना पहले कभी नहीं हुआ अतः ज्यादातर मरीजों में ये एंटी-बॉडी बना ही नहीं पाता और इसलिये कोरोना के गंभीर मरीजों को रक्त प्लाज्मा का इलाज बताया जा रहा है) 
इसे अगर आप फार्मूले में समझना चाहे तो इसे ऐसे समझ लीजिये कि कोरोना में मौजूद घटक शरीर में मौजूद घटको के साथ यौगिक क्रियाये करके अलग अलग केमिकल्स का निर्माण कर लेते है जैसे-C6H12O6+ 6O2→6CO2+6H2O या  CH4+2O2→CO2+2H2O ! 


रक्त प्लाज्मा पहले से संक्रमित होकर ठीक हुए व्यक्ति का होता है ! रक्त प्लाज्मा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक मेपिंग देता है कि इस तरह के एंटी-बॉडी बनाने से उसकी रक्षा हो सकती है अतः गंभीर रोगी का डीएनए कोरोना से लड़ना छोड़  सिर्फ एंटी-बॉडी तैयार करने लगता है जिससे शरीर में मौजूद रक्त (कोशिकाओं) की मात्रा तेज रफ्तार से बढ़ती जाती है और विषाणु उस एंटी-बॉडी से लड़कर/ थककर खुद ही दम तोड़ देता है ! 


और कई बार विषाणु के मुकाबले में प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से लड़ नहीं पाती तो ये कोरोना वायरस  डीएनए में मौजूद आरएनए के साथ मिलकर नया जाइनोट बना लेता है और अपना स्वयं का एक नया प्रकार विकसित कर लेता है और इसीलिये ये कहा जा रहा है कि कोरोना के साथ जीना सीख लीजिये अथवा कोरोना कभी समूल रूप से ख़त्म नहीं होगा ! 


अब आप रेमडेसिवियर दवा में मौजूद हाइड्रोजन का उपयोग भी जान लीजिये....यह संक्रमित व्यक्ति के पेट में दवा में घुलने साथ ही नाइट्रोजन के साथ संयुक्त होकर अमोनिया बनाता है जो उर्वरक के रूप में व्यवहार में आता है...... शरीर में मौजूद तेल के साथ संयुक्त होकर वसा बनाता है जो अपचायक के रूप में काम करती है और शरीर के अवयवों से मैच न करने वाले अवयवों को जमा देता है जिससे वो निष्क्रिय हो जाता है (ज्ञात रहे सिर्फ निष्क्रिय होता है खत्म नहीं होता) इसके अलावा कार्बन (कोयले) से संश्लिष्ट होकर पेट्रोलियम जैसा एक पदार्थ का भी निर्माण करता है जो शरीर में नये बन रहे प्रोटीन को जलाने का काम करता है (क्योंकि शरीर के अन्य घटको के साथ मिलकर फास्फोरस भी लाल फास्फोरस में तब्दील हो जाता है जो एक प्रकार का बारूद सा होता है और वो इस पेट्रोलियम जैसे पदार्थ के साथ क्रिया करके एक धमाका सा करता हुआ जल जाता है) साथ ही साथ  ये हाइड्रोजन ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्सीहाइड्रोजन का निर्माण भी करता है और चूँकि ऑक्सीहाइड्रोजन का ताप बहुत ऊँचा होता है इसलिये ही रेमडेसिवियर दवा लेने वाले का शरीर अत्यधिक तेजी से गर्म होता है ! 


कुल मिलाकर रेमडेसिवियर दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या पेरासिटामोल अथवा अन्य दी जाने वाली सामान्य दवाओं की ही तरह ही है सिर्फ हेविडोज है और ये 
कोरोना के लिये दूसरी सभी दवाओं की तरह टेम्परेरी इलाज तो हो सकता है मगर वेक्सीन के तौर पर फ़ैल है 


ऐसी दवाओं का जहाँ पैसा तो ज्यादा लगता ही है वहीँ साइड इफेक्ट भी बहुत ज्यादा होते है और ज्यादा या लगातार सेवन से हार्ट अटेक का खतरा भी संभावित हो सकता है अतः कोरोना के विषय में स्वयं डॉ बनने की चेष्टा बिलकुल न करे और एक रजिस्टर्ड चिकित्सक (जो सरकार द्वारा कोरोना के लिये विशेष तौर पर  नियुक्त किया गया है) से ही इलाज करवाये क्योंकि दवा चाहे रेमडेसिवियर हो या पेरासिटामोल अथवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अथवा अन्य किसी भी बिमारी के लिये बनी एंटी-बायोटिक दवा हो कभी बिना चिकित्सीय परामर्श के नही लेनी चाहिये क्योंकि असल में वे सभी उन्ही बीमारी के जीवाणुओं और विषाणुओ से तैयार की जाती है जो संबंधित बिमारी के होते है और बिना वजह से एंटी-बायोटिक लेना रोग को आमंत्रित करना है ! 


नोट : ये इम्युनिटी बढ़ाने की दवाओं का जो प्रचार किया जा रहा है उनके झांसे में बिल्कुल  न आये क्योंकि कोई भी दवा तुरंत इम्युनिटी कभी नहीं बढाती (चिकित्सीय परामर्श के साथ लम्बे समय के लगातार सेवन से ही इम्युनिटी बढ़ती है और उसके साथ बहुत से खानपान का परहेज शामिल होता है) बल्कि ये सदैव याद रखे कि  ऐसी दवाये सिर्फ आपके रक्तप्रवाह को बढाती है जिससे आप खुद को एक बार स्वस्थ महसूस करने लगते है लेकिन दवा का असर ख़त्म होने के बाद  ज्यादा निढाल हो जाते है और ऐसी दवाओं के लगातार सेवन से आपको हार्ट ब्लॉकेज या अटैक हो सकता है....... इन दवाओ का सेवन/असर  ठीक वैसा ही है जैसा जब आप बहुत थके हुए हो और आपके पीछे एक भयंकर दिखने वाला कुत्ता आपको काटने को आपके पीछे पड़ा और उस समय जो आप 5 किमी दौड़कर अपनी जान उस कुत्ते से बचाते है अर्थात ये इस तरह की दवाये एक बार आपकी शरीर की संचित उस शक्ति का इस्तेमाल करते है  जो आपका शरीर इमरजेंसी के लिये रिजर्व कोटे में रखता है और उसे खर्च नहीं करता और इन दवा के असर से वो रिजर्व कोटा समाप्त हो जाता है और तब आप ज्यादा बीमार पड़ोगे (इसे आप मोदीजी द्वारा रिजर्व बैंक और एलआईसी के रिजर्व फण्ड के इस्तेमाल से देश की बैठती हुई अर्थव्यवस्था के उदाहरण से भी जोड़कर समझ सकते है) 
  
Pt. Kishan Golchha Jain