हिंदुत्व और इस्लाम  ------------------------- विश्वास और अंधविश्वास के बीच

युरोप में जब प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ तो उसे इस्लाम में हराम करार दे दिया गया. क्योंकि उससे पहले मुस्लिम उलेमा वज़ू करके कुरान व हदीस की किताबों को हाथों से लिखते थे. उलेमाओं का मानना था कि ये नापाक मशीन है, जिस पर अल्लाह और रसूल का कलाम छापना हराम है लेकिन अब ये पूरी तरह हलाल हो गई है.
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लाउडस्पीकर जब आया तो उसकी आवाज़ को गधे की आवाज़ से तुलना कर उसे शैतानी यंत्र करार दे दिया गया. लेकिन आज हर मस्जिद और आलिम के मजलिस के लिए जरूरी है.
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रेलगाड़ी आई तो उलेमाओं ने फरमाया कि हमारे नबी ने कयामत की एक निशानी ये भी बताई थी कि लोहा लोहे पर चलेगा, लेकिन आज... माशा-अल्लाह उलेमा इसी लोहे के बर्थ पर नमाज़ें अदा करते नजर आते हैं.
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हवाईजहाज का जब चर्चा आम हुआ, तो उलेमाओं ने कहा कि जो इस लोहे में उड़ेगा उसका निकाह खत्म हो जाएगा. लेकिन जाहिर है कि आज अल्हमदुलिल्लाह इसी लोहे पर उड़ कर मुसलमान हज व उमरा की नेकियां बटोर रहे हैं.
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अंग्रेजों ने जब नई चिकित्सा पद्धति अपनाया तो टीके पर भी फतवा लगा, ऐसी लम्बी लम्बी बहसें हुईं कि अगर उन्हें एक जगह जमा करके पढ़ा जाए तो आदमी हंसते हंसते लोट पोट हो जाए.
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मुर्गियों पर भी फतवे लगे. ऐसी घरेलू मुर्गी जो बाहर से दाना चुग कर आई हो उसे हलाल नहीं किया जा सकता. पहले उसे तीस दिनों तक दड़वे में रखा जाए फिर हलाल किया जाए.
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पोल्ट्री फार्म की मुर्गी आई थी तो उसके अंडों पर फतवा लगा, क्योंकि उन अंडों का कोई बाप नहीं था.
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रक्तदान को भी हराम कर दिया गया लेकिन आज देश में ऐसा कौन सा अस्पताल है जहां ये सहूलियत मौजूद न हो. अब तो रक्तदान नेकी का काम है.
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फोटो खिंचाना हराम है लेकिन आज कौन सा ऐसा मुसलमान है जो इससे इनकार करता हो.  सऊदी अरब जैसा कट्टर मुस्लिम देश भी नहीं.
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टीवी को हराम ही नहीं बल्कि उसे शैतानी डिब्बा कहा गया. जमाअतुतदावा के एक मासिक पत्रिका में उसके खिलाफ लगातार लेख छपते रहे. लेकिन आज उसी के बड़े रहनुमा इसी शैतानी डिब्बा में अपनी ईमान से भरी तकरीर से उम्मत को नवाजते रहते हैं.  और भी बड़े बड़े उलेमा तो ज्यादा समय इसी डिब्बे में गुजारते हैं...!!


बाकी सब खैरियत है।


Mayank Pandey 
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna