देश भर में सामाजिक कार्यकर्ताओ ने  10 अप्रैल को दिन भर का उपवास किया

*  कुछ  तो  करो  ना *




           अभियान  के तहत 

 

43 करोड़ असंगठित छेत्र के मजदूरों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए 

 

देश भर में सामाजिक कार्यकर्ताओने 

10 अप्रैल को दिन भर का उपवास किया

 

देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं ,जन आंदोलन से जुड़े संगठनों और गाँधीवादियों ने 

43 करोड़ असंगठित छेत्र के मजदूरों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए 10 अप्रैल को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच घर मे रहकर उपवास किया

इस आशय की जानकारी देते हुए हिन्द मज़दूर किसान पंचायत मध्य प्रदेश के महासचिव डी  के प्रजापति ने कहा है कि ' हम सब लॉक डाउन के चलते अपने घरों मे हैं,कुछ क्वारेंटआईन में कुछ साथी जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं।

 इस  लॉक डाउन का सबसे मारक असर बेघर लोगों पर पड़ा है ,जो भीख मांग कर जीवन जीने को मजबूर थे ,निराश्रित है, इसका असर उन प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों ,ठेका मजदूरों, निर्माण मजदूरों, दैनिक मजदूरों पर सर्वाधिक  पड़ा है , जिनका रोजगार का स्त्रोत समाप्त हो गया है। 

    गांव मे रोजगार न होने के चलते गांव के छोटे किसान , खेतिहर मजदूर और गरीब शहरों मे जाकर रोजगार कर रहे थे ।अचानक लॉक डाउन कर दिए जाने के चलते करोड़ों मजदूर पैदल ही गांव लौट आए ,लाखों रास्ते में फंस गए । लॉक डाउन के चलते उनके पास आय का कुछ साधन नहीं है। सरकार ने राशन देने और बैंकों मे  सहायता राशि डालने की घोषणा की है लेकिन जिन लोगों के कार्ड बने नही है या कार्ड शहरों के बने है उन्हें राशन भी नही मिल पा रहा है । राशन लेने जाने, बैंक मे जाने पर पुलिस की पिटाई की तमाम घटनाएं आपने पढ़ी और देखी होंगी । कुल मिलाकर 43 करोड़ गरीबों - असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार कागजों तक सीमित रह गया है।

          लॉक डाउन के समय यह जरूरी है कि हम यह विचार करें कि सरकारों की किन नीतियों के चलते आज न्यू इंडिया की यह शक्ल दिखलाई पड़ रही है ।इस स्थिति को बदलने के लिए हमें विकास की वर्तमान अवधारणा को बदलने का सुनियोजित संगठित प्रयास करना होगा।वैकल्पिक विकास की नीति ,आर्थिक नीतियों , स्वावलंबी गाँव एवम् पर्यावरण सम्मत नीतियो को लागू करने के  संघर्ष करना होगा ।

           यह हमारा लॉक डाउन खुलने के बाद का  लक्ष्य है परन्तु तत्काल हमने  यह जरूरी माना है कि हम प्रवासी मजदूरों सहित 43 करोड़  श्रमिकों - श्रमिकों की व्यथा को सरकार के समक्ष रखने  तथा इन श्रमिकों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए 10 अप्रैल को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक उपवास  करें । और देश भर के जनांदोलनों के साथियो ने आज यह उपवास किया छिन्दवाड़ा मे भी जनसंगठनों के साथियो जिसमे हिन्द मज़दूर किसान पंचायत के साथी डी के प्रजापति ,सुषमा प्रजापति ,शोभा शर्मा ,सौसर के साथी अर्जुन बनारशे ,दीपक दध्दये ,पांढुर्ना के साथी आर के तिवारी सी पी एम के कामरेड महेश सोनी आम पी एम एस आर यू के कामरेड सलिल शुक्ला ,कामरेड धन्नालाल यादव सर्वहारा आटो एवं हम्माल यूनियन के कामरेड हीरा सिंह रघुवंशी ,लाल झंडा कोल माइंस मज़दूर यूनियन (सीटू )गुढ़ी की कामरेड प्रमिला निगम ,कामरेड अमरनाथ सिंगज कामरेड मीर हसन ,कामरेड अशोक भारती, कामरेड समीर ,किसान संघर्ष समिति की आराधना भार्गव, जनसंगठन के साथी पूरनलाल वर्मा ने अपने अपने घरों में रहकर मज़दूरों की मांगों के समर्थन में उपवास किया साथ ही 



जो ऐसे साथी हैं ,जो डाइबिटीज या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं ,उन्होंने  मौन रखकर एकजुटता जाहिर कर के इस अभियान में शामिल हुए। जनसंगठनों की यह 

 मांग है कि केंद्र सरकार  सभी 43 करोड़ जरूरतमंदों को 5000 रुपये प्रतिमाह  की व्यवस्था करें तथा  राज्य सरकारें  केंद्र सरकार के गृह एवम श्रम मंत्रालय द्वारा जारी 

द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन करें ,जिसकी मांग देश के मान्यता प्राप्त 10 मजदूर संगठनों द्वारा लगातार  की जा रही है।

 

   डी के प्रजापति  ने बताया कि 102 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  दुराई स्वामी,बंगलुरू , 97 वर्षीय डॉ जी जी पारिख ,मुम्बई ,समाजवादी चिंतक पन्नालाल सुराणा ,प्रख्यात लेखक रामचन्द्र गुहा, कर्नाटक विधान परिषद के पूर्व उप-सभापति बी.आर. पाटिल, . युसूफ मेहर अली सेंटर की महामंत्री विजया चौहान, कर्नाटक के प्रसिद्ध गांधीवादी  प्रसन्ना, राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष गणेश देवी,जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर , कृषि विशेषज्ञ वंदना शिवा  ,जल पुरुष राजेन्द्र सिंह  ,हिम्मत सेठ ,सांसद दानिश अली द्वारा भी आज  उपवास करने की सूचना उन्हें प्राप्त हुई है। डॉ सुनीलम  ने भी घर पर रहकर  उपवास किया है

 उल्लेखनीय है कि 10 अप्रैल 1917 को गांधी जी राजकुमार शुक्ल के साथ चंपारण के संघर्ष की शुरुआत करने बांकीपुर ,पटना पहुंचे थे। चंपारण के संघर्ष ने  ही  सत्याग्रह को आज़ादी के आंदोलन को प्रमुख बना दिया था ।आज का उपवास भी उसी श्रंखला की पुनरावृत्ति है

 

  डी के प्रजापति

महासचिव

हिन्द मज़दूर किसान पंचायत मध्य प्रदेश

 

9425146513