CORONA का कहर:BMHRC के प्रति ICMR का उपेक्षित रवैया 

कोविड-19 सेन्टर बनाने से गैसपीड़ित परेशान,डॉक्टर्स में भी आक्रोश
प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन,सीनियर चिकित्सक प्रशासन के काम में 
में 'लगे-बचे',जूनियर डॉक्टर्स की उपचार के मोर्चे में छह टीम गठित  
-भोपाल गैस पीड़ितों के लिए बना भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं शोध केंद्र इन दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद की उपेक्षा का शिकार हो गया है.परिषद के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत संचालित इस महत्वपूर्ण अस्पताल को जबसे कोविड-19 सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकार ने अधिग्रहित किया है तबसे इसका और भी बुरा हाल हो गया है.पिछले महीने 23 मार्च को इस बारे में आदेश मिलते ही अस्पताल ने OPD सेवाएँ बंद कर दी. विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों को जबरन डिस्चार्ज कर दिया और डायलिसिस के मरीजों को दूसरे सरकारी अस्पताल भेज दिया.


गौरतलब है कि इनमें कई मरीज गंभीर हालत में थे और ऐसे तीन मरीजों की मौत होने की भी पुष्टि हुई.ICMR के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव गैस पीड़ितों की समस्याओं से बेखबर है और असम्वेदनशील रवैया अख्तियार किये हुए हैं. 


अब लचर प्रबंधन और डॉक्टरों के ड्यूटीचार्ट तैयार करने में पक्षपातपूर्ण रवैये का उदाहरण देखिये ऐसे संकट और इमरजेंसी के दौर में भी यहाँ सीनियर्स और जूनियर डॉक्टर्स के बीच अस्पताल बंट गया है.इसका बहुत बड़ा कारण कोरोना उपचार से क्लीनिकल चिकित्सकों को अलग रखना और केवल जूनियर्स को फ्रंट टीम में तैनात करना है.यहीं छः टीमें रोटेशन से बार-बार कोरोना मरीजों के उपचार में भिड़ेंगी. इस असंगत व्यवस्था का पहला प्रमाण है कोर कमेटी जिसमें  पल्मोनरी विभाग के डॉ ललित कुमार और डॉ महेश राठौर जैसे दोनो वरिष्ठ चिकित्सक शामिल किये गए हैं जबकि कोरोना का संक्रमण मुख्यतः फेफड़े की बीमारी है.ऐसी स्थिति में पल्मोनरी वार्ड के इन दो विशेषज्ञों को सीधे-सीधे उपचार से बाहर रखना और अन्य प्रशासनिक व्यवस्था में उलझाने का क्या तुक है?


दूसरा बड़ा उदहारण अस्पताल के अधीक्षक डॉ अनुराग यादव का हैं जो Critical Care के प्रोफ़ेसर हैं और उनके बायोडाटा के मुताबिक वे इंटेसिव केयर और फेफ़ड़े के रोगों के सघन चिकित्सा इकाई की निगरानी के एक्सपर्ट है.[Expertise:All the ventilation modes, Invasive Pressure monitoring, Fibreoptic Bronchoscopy, BLS & ACLS, One Lung Ventilation etc.] लेकिन अस्पताल का प्रबंधन सम्हाल रहे है और एनिस्थिशिया विभाग के प्रमुख भी बने हुए है पर  खुद उन्होंने COVID-19 मरीजों के उपचार से अपने को दूर रखा है. वे कोरोना मरीजो के खान-पान और ड्रेस-हाइजिन का ख्याल रखेंगे. एक और तथ्य का उल्लेख ज़रूरी है और ICMR के DG के ध्यान में लाना जरूरी है कि डॉ यादव मूलतः एनिस्थिशिया के है और अभी भी bmhrc में इस विभाग के HOD भी है जबकि विभाग में उनसे सीनियर तीन प्रोफ़ेसर (Professor Anaesthesia) 1.Dr. Surbhi Sahay, 2. Dr. Saffullah Tipu,3. Dr. Sarika katiyar विधिवत नियुक्त है. इसके अलावा विभाग में तीन और सहायक प्रोफ़ेसर कार्यरत है- Dr. Gaurav Aacharya, Dr. Sandhya Eveny और Dr Jitendra Kumar. डॉ जितेन्द्र contractual consultant है.


ऐसी विशेष स्थिति में अस्पताल प्रबंधन को एनिस्थिशिया विभाग प्रभार तत्काल किसी वरिष्ठ प्रोफ़ेसर को देना चाहिए और डॉ यादव की तैनाती इंटेंसिव केयर यूनिट में होना चाहिए. एक वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार कोरोना के मरीजों के इलाज में सर्वाधिक महत्व पल्मोनरी एक्सपर्ट और इंटेंसिव केयर(Lung Ventilation etc) का ही होता है. एक अन्य कंसल्टेंट ने भी इस महामारी के इलाज के लिए अस्पताल में की गई व्यवस्थाओं में  WHO के प्रोटोकॉल और आईसीएमआर की गाइड लाइन की अवहेलना किये जाने की शिकायत की. 


वो तो गनीमत है कि अभी तक यहाँ कोरोना का कोई भी मरीज नहीं आया है और इसके विरोध में कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को गैस पीड़ित मरीजों के पक्ष में  दिशा-निर्देश मिलने की पूरी उम्मीद है. इस बारे में BMHRC की निदेशक डॉ प्रभा देसीकन और अधीक्षक डॉ अनुराग यादव से प्रतिक्रिया लेने के लिए जब सम्पर्क की कोशिश की गई लेकिन कई बार विफलता मिली. -


पूर्णेन्दु शुक्ल, नागरिक पत्रकार के नाते



[पहली तस्वीर नीचे डॉ बलराम भार्गव,महानिदेशक ICMR,तीसरी तस्वीर डॉ प्रभा देसीकन,निदेशक bmhrc]
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Comment of Rachna Dhingra :
19 days ago BMHRC shut all its medical services to the most vulnerable population of Bhopal which has led to atleast deaths of 4gas victims, thousands are left without medicines, dialysis patients have documented near fatal experiences as they have been shifted to a place where there is untrained & inexperienced staff.
It is clear that the management of the hospital does not give a damn about their patients or its employees.
Most of the senior management doctors who are on the core committee are also the same people responsible for making all protocols regarding COVID-19. There is no equal representation of people from each grade in this core committee. It is such a disgrace that all members of the core committee have decided to recuse itself from seeing/treating COVID-19 pts. They will not visit patients but will give advice from the private ward. Only junior doctors & lower staff have been posted for direct contact with positive patients. The two most senior pulmonoligist of the hospital have recused themselves from being in direct contact with +patients.
One of the most qualified doctor to deal with people in Pulmonary Distress is Dr. Yadav and his name also doesn't find a mention in the duty roaster.
This hospital is being run by an institute (ICMR) which is guiding the country on every medical & public health issue concerning Corona virus. ICMR chooses to look another way
Purnendu Shukla ji post is not only insightful and full of pointed facts that it has become a rarity by today's journalism standards.