चौतरफा अवसाद और उदासी के माहौल में अपने घरों में दीये और मोमबत्तियां जलाकर संकट की घड़ी में एकजुटता के प्रदर्शन और समाज में सकारात्मकता के प्रसार का मोदी जी का आईडिया बुरा नहीं था। मोमबत्ती लेकर मैं भी सपरिवार घर की बालकनी में पहुंचा, लेकिन चारों दिशाओं से आ रही आतिशबाजी के शोर ने घृणा से भर दिया। मानवीय संवेदना के प्रदर्शन के आयोजन को बर्बादी के उत्सव में बदलता देखना बेहद त्रासद अनुभव था। इसके पहले कोरोना के योद्धाओं के प्रति एकजुटता के प्रदर्शन के लिए तालियां और थालियां बजाने के आह्वान का भी ऐसा ही अश्लील हश्र हुआ था। मैंने मोमबत्ती बुझाई और घर के भीतर लौटकर सभी बत्तियां जला ली। यह कसम भी खाई कि आईन्दा मोदी जी के ऐसे किसी भी आह्वान में भागीदारी नहीं करनी है।
मोदी जी, आपकी नीयत चाहे जितनी अच्छी हो, उन्हें ज़मीन पर उतारने वाली आपके समर्थकों की जमात अमानुषों और जाहिलों से भरी हुई है।
@ Dhruv Gupt सेवानिवृत IPS