बहुत भयावह आपदा को आमंत्रण दे सकता है सरकारी कार्यालयों का आंशिक खुलना भी: माकपा

भोपाल। प्रदेश सरकार का एक तिहाई कर्मचारियों के साथ सरकारी कार्यालय खोलने का निर्णय अदूरदर्शी और नई आपदा को आमंत्रण देने वाला साबित हो सकता है। इसके वैसे ही गंभीर परिणाम होंगे जैसे अचानक और बिना पूर्व तैयारी के शुरू किए गए लाँकडाउन के हुए थे, जिसमें 12 करोड़ प्रवासी मजदूरों पर संकट का एक नया पहाड़ टूट गया था।


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि कार्यालय को शुरू करने से पहले सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी कर्मचारियों और उनके परिवार का कोरोना टेस्ट करवाया जाये। अन्यथा यह निर्णय बीमारी को भयावह बना सकता है।


माकपा नेता ने कहा है कि भोपाल में वल्लभ भवन और आसपास के कार्यालयों में दस हजार के आसपास कर्मचारी कार्यरत हैं। एक तिहाई का अर्थ है कि करीब सवा तीन हजार कर्मचारी उपस्थित होंगे। इनमें से किसी एक के भी संक्रमित होने से सारे कर्मचारियों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि सरकार रोटेशन से एक तिहाई कर्मचारियों को बुलायेगी। इसलिए जांच सभी कर्मचारियों और उनके परिजनों करवानी होगी।


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनुसार कोरोना के संक्रमण को हल्के से लेने से ही प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग सबसे अधिक संक्रमण का शिकार हुआ है और राजधानी भोपाल में पोजेटिव पाए जाने वाले केसों में 60 प्रतिशत के आसपास सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के हैं।


जसविंदर सिंह के अनुसार सरकारी कामकाज चलाने के लिए कार्यालयों का खुलना जरूरी हो सकता है, मगर इसके लिए पहले कार्यालयों और आसपास के स्थानों का सेनीटाईज होना और कर्मचारियों की जांच होना बेहद अहम है। संभवत: इस ओर सरकार अभी तक उदासीन है।


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कार्यालयों को शुरू करने से पहले कर्मचारी संगठनो से भी विमर्श करने की सलाह सरकार को दी है।