बाज नहीं मानेगा कि वह दोषी है 

बाज नहीं मानेगा कि वह दोषी है 
तेंदुआ नहीं जानता कि अच्छाई क्या है 
शार्क ज़ब हमला करती है तो लज्जित नहीं होती 
सांप के हाथ होते तो वह कहता उसके हाथ स्वच्छ हैं 
भेड़िया नहीं जानता कि अफ़सोस क्या होता है 
शेर और जुएं अपना कर्म करते रहते हैं -
क्योंकि यह सब अपने को ही सही मानते हैं :
सूरज से इस तीसरे ग्रह पर पशुता के चिन्हों में विवेक सर्वोपरि है.


★ विष्वावा जिमबोर्स्का, 
नोबल पुरस्कार 1996 के
 मानपत्र में उल्लेखित कविता


@ Kashmir Uppal