अलविदा, इरफ़ान !

नहीं रह जाता जैसे बीता हुआ समय
आज के बाद
मैं भी नहीं रह जाऊंगा
रह जाएंगे बस
मिट्टी में मेरे थोड़े-से अवशेष
कुछ पुरानी यादें
कुछ चलती-फिरती तस्वीरें
कुछ कहे-अनकहे किस्से


नहीं खोज पाया जैसे कोई
समुद्र में नदी
सन्नाटे में चीख
आज के बाद तुम भी, मेरे दोस्तों
कैसे खोज पाओगे मुझे !


अलविदा, इरफ़ान ! आप अपने कृतित्व और हमारी यादों में हमेशा ज़िंदा रहोगे।


@ Dhruv Gupt श्री ध्रुव गुप्त