विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
---‐------------------------------------------
सांस के अंतिम पहर तक
साथ तेरा चाहिए।
बुझ जाए दीये की लौ
तो,जुगनुओं की रौशनी में
अक्षर-अक्षर पढ़ सकूं।
सागर रूपी किताब से
चुन-चुन कर मोती प्रेम का
यहां-वहां बिखड़ा सकूं।
ज़िंदगी धूप बनकर
झुलसा न पाए ये जहां
लालसा है बस यही
सांस के अंतिम पहर तक
साथ तेरा चाहिए।
ज्ञान ऐसा मिल सके
मनुष्य की मनुष्यता
बची रहे मनुष्य में।
बैर-भाव मिट सके
व्यापार ना हो प्रेम का।
ऊंच-नीच,जाति,धर्म के
बीच का दीवार गिर सके।
धरा दीर्घ काल तक
मुस्कुराती ही रहे।
आकाश की नमी
ब्रह्मांड में बची रहे।
सांस के अंतिम पहर तक
साथ तेरा चाहिए।
डाॅ.चित्रलेखा