अब मेहरबानी क्यों कर रही सरकार? 

नज़रिया
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अब काहे मेहरबानी कर रही सरकार? 
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अब 3 मई के बाद ही छूट देना!
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केन्द्र सरकार ने मजदूरों पर बड़ी मेहरबानी की है, लाॅकडाउन की तारीख 3 मई से महज तीन-चार दिन पहले मजदूरों को घर जाने की छूट मिल गई है? समझ में नहीं आता, इतनी मेहरबानी काहे कर रही है सरकार? अब तो 3 मई बाद छूट मिलेगी तो भी चलेगा! वैसे भी ज्यादातर मजदूर बगैर हवाई जहाज और बसों के पैदल चल कर अपने घर जैसेतैसे पहुंच ही गए हैं. कुछ को राज्य सरकारें ले आई हैं, शेष बचे बाकी लोग भी देर-सवेरे अपने घर पहुंच ही जाएंगे?


खबर है कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अब तक की सबसे बड़ी छूट देने का ऐलान किया है, जिसके तहत केंद्र सरकार ने लाॅकडाउन में फंसे छात्रों, मजदूरों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों की निकासी को लेकर आदेश जारी किए. केंद्र ने कहा कि राज्य इनकी निकासी के लिए एक नोडल एजेंसी बनाए. स्क्रीन करने के बाद जिन लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं है, उन्हें अपने राज्य जाने की इजाजत मिलेगी. यही नहीं, यह भी कहा गया है कि लोगों को ले जाने वाली बसों को भी सैनिटाइज किया जाए. जो भी लोग अपने होम एरिया में जाये उन्हें पहले क्वारंटाइन में रखा जाए.


मतलब.... फंसे हुए प्रवासी कामगारों, तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों, छात्रों आदि को लॉकडाउन में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की इजाजत मिलेगी! हालांकि, पहली बार के लाॅकडाउन के बाद से ही मजदूर बेहद परेशान थे. इस बीच ज्यादातर मजदूर तो सैकड़ों किमी पैदल चल कर ही अपने घर आ गए है. लिहाजा, इस बड़ी छूट का फायदा कितनों को मिल पाएगा? यह देखना होगा! इस 25 मार्च से शुरू हो कर 3 मई तक चलने वाले लाॅकडाउन के दौरान केन्द्र सरकार ने गरीब श्रमिक वर्ग के प्रति जो प्रायोगिक स्वरूप प्रदर्शित किया है, वह पीएम नरेन्द्र मोदी के गरीबों के प्रति भावनात्मक और सैद्धान्तिक भाषणों से एकदम अलग रहा है!


जैसे दिन प्रवासी मजदूरों ने इस दौरान देखे हैं, शायद अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखे होंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहराज्य सूरत में ही परेशान श्रमिकों ने एकाधिक बार प्रदर्शन किए, लेकिन न तो केन्द्र सरकार ने और न ही गुजरात सरकार ने उनकी परेशानी पर ध्यान दिया?


अमीरों के रोग कोरोना ने इन गरीबों की जिंदगी की सारी खुशियां छिन ली हैं. इन श्रमिकों में से कितने कोरोना वायरस के कारण मरे हैं, इसका तो कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है, लेकिन भूख, प्यास, थकान, कमजोरी और दूर्घटना के कारण जरूर कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है! यह कौन बताएगा कि इन गरीब मजदूरों का गुनाह क्या था?


Abhi Manoj