ग्रेट_डिप्रेशन_2


IMF ने आज 1930 के बाद 2020 में ग्रेट डिप्रेशन आने की संभावना व्यक्त की है ग्रेट डिप्रेशन को महामंदी भी कहा जाता है यह 20 वी सदी की सबसे बड़ी घटना मानी जाती है जिसने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था


यह महामंदी अमेरिका से शुरू हुई थी 1923 में अमरीका का शेयर बाज़ार चढ़ना शुरू हुआ और चढ़ता ही चला गया. लेकिन 1929 तक आते-आते इसमें अस्थिरता के संकेत आने लगे. अंततः 24 अक्टूबर 1929 को एक दिन मे क़रीब पाँच अरब डॉलर का सफ़ाया हो गया.


अगले दिन भी बाज़ार का गिरना जारी रहा और 29 अक्टूबर 1929 को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और बुरी तरह गिरा और 14 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.. इस तरह 29 अक्टूबर 1929 के दिन मंगलवार को 'ब्लैक ट्यूज़डे कहा गया


पिछले 3 हफ़्तों में अमेरिका में 11 फीसदी लोगो ने अपनी नौकरियां गंवाई है बेरोजगारी की दर 14 % तक पहुंच गई है जो 1930 के बाद सबसे ज्यादा है मेरा डाटा प्रिडिक्शन कह रहा है कि यह दर 32 ℅ भी जा सकती है यह बिलकुल 1930 के दौर की याद दिला रहा है मुझे आशंका है अमेरिका में जीतने लोग कोरोना वायरस से नही मरेंगे उससे ज्यादा लोग अवसाद से मर सकते है


भारत मे भी बेरोजगारी की दर 23 फीसद हो गई है जो एक विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही बुरे संकेत है करीब 40 करोड़ मजदूरों पर आजीविका संकट है ऐसे में सरकार के लिए दोहरी चुनौती है की वो मांग और पूर्ति संतुलन कैसे बनाती है क्या वो 1930 की जैसी महामंदी से लड़ने का कोई रास्ता खोज सकती है


1750 तक दुनिया के उत्पादन में भारत का एक-चौथाई हिस्सा था लेकिन 1900 तक यह घटकर 2 प्रतिशत रह गया। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप पश्चिम देश अधिक उत्पादक बन गए और भारत ने अपने प्रमुख निर्यात क्षेत्र, वस्त्रों को खो दिया। भारत के जीवन स्तर में 19 वीं शताब्दी के मध्य तक गिरावट आई और अर्थव्यवस्था बहुत पिछड़ गई


लेकिन 1930 के महामंदी की दौर का भारत ने डट कर सामना किया था क्योंकि सोवियत संघ के समान भारत मे एक समाजवादी व्यवस्था थी क्योंकि भारत में आंतरिक नियमों और ब्रिटिश कॉलोनी होने से अर्थव्यवस्था अनुशासित थी..!


1930 के भारत से यह सबक लिया जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बड़ा झटका अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गिरावट के दशकों तक हो सकता है लेकिन कृषि आधारित औऱ वास्तविक मजदूर वाली अर्थव्यवस्था इससे ऊबर सकती है..


1930 के ग्रेट डिप्रेशन में हजारों अमेरिकी नागरिको ने आत्महत्या की थी क्योंकि वो जीवन स्तर में गिरावट के आदि नहीं थे औऱ उसका मध्यवर्ग अपनी जड़ों से कटा हुआ था इसके विपरीत उस समय भारत मे मध्यमवर्गीय समाज की अवधारणा ही नही थी इसलिए भारत इस महामंदी को भी आसानी से झेल गया था लेकिन आज का मध्यम वर्ग इस चुनौती के लिए तैयार है और इस समय यही सबसे बड़ा सवाल है अगर आपके पास कोई जवाब है तो जर्रूर दीजिए..!


अपूर्व भारद्वाज