सिंधिया घराने का इतिहास खंगालने में थोडा संयम बरतें।कांग्रेसी भक्त

राजनीति संभावनाओं का खेल याकि धंधा है, लिहाजा कांग्रेसी भक्तों को बिना मांगे सलाह है कि वे सिंधिया घराने का इतिहास खंगालने में थोडा संयम बरतें।


ज्योतिरादित्य इस गलतफहमी के साथ भाजपा में गए हैं कि कांग्रेस की तरह वहां भी उनकी पालकी ढोने के लिए कहारों की कमी नहीं होगी। उनकी यह गलतफहमी पूरी तरह बहुत जल्दी ही दूर हो जाएगी, शुरुआत तो पहले दिन से ही हो चुकी है। 


बहुत जल्द ही 'श्रीमंत’ को अहसास हो जाएगा कि शाह और शहंशाह के राजनीतिक हरम में उनसे भी बडी-बडी बांदियां मौजूद हैं। इस बात का अंदाजा शायद राहुल गांधी को है, इसीलिए उन्होंने 'सिंधिया कांड’ पर बहुत नरम शब्दों में प्रतिक्रिया व्यक्त की है। 


कोई आश्चर्य नहीं 2024 के पहले ही कांग्रेसजनों को सिंधिया घराने का 'स्वर्णिम इतिहास’ भूलकर फिर अपने 'महाराज’ की पालकी का कहार बनने का मौका मिल जाए


(  अनिल जैन )