सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक किसी भी पद पर नियुक्ति न करने का नियम है. - जस्टिस लोया प्रकरण

कुछ बातें ( लोचा जस्टिस गोगोई का )


1.सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक किसी भी पद पर नियुक्ति न करने का नियम है.इसे लॉक इन पीरियड कहते हैं.


2. वर्ष 2014 में मोदी सरकार का सबसे पहला कानूनी काम  एक अध्यादेश था.इसे  पूर्व आई ए एस अधिकारी नृपेन्द्र  मिश्र को प्रधानमंत्री का प्रमुख सचिव बनाने में 'लॉक इन 'की बाधा ख़तम करने लागू किया गया था .


3. मिश्र जी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( ट्राई )के प्रमुख थे. उस सरकारी पद से मुक्ति के बाद दो बरस का उनका  लॉक इन पीरियड पूरा नहीं हुआ था.


4.इसलिए नियम कानून को ताक पर रख उनकी नई नियुक्ति के लिए वो अध्यादेश लागू किया गया.बताया जाता है कि अध्यादेश लाने का सुझाव खुद मिश्र जी ने दिया था जो हाल के दिनों में भारत के सबसे 'बड़े बाबू ' रहे हैं . वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के भी प्रमुख सचिव रहे थे .


5.राज्य सभा सदस्य के रूप में जस्टिस गोगोई की नियुक्ति नहीं हुई है. यह  मनोनयन है. इसलिए उनके मामले में दो बरस का लॉक इन पीरियड का क्लाऊज लागू हो भी सकता है और नहीं भी . कोई शक ?


चंद्र प्रकाश झा