सामुदायिक संक्रमण के मकसद को विफल करने वाला है बिल्कुल_नाकाफी_है_कोविड_पैकेज

 
🔵  अब बर्बाद करने को रत्तीभर भी समय नहीं बचा। दो महीने पहले से चेतावनी मिल जाने के बावजूद, केंद्र सरकार ने पहले कोई योजना बनाए बिना जिस तरह लॉकडॉउन का एलान किया है, उससे जिंदगियां उखड़ गयी हैं।
🔵  यह राजकोषीय घाटे की दुहाई देकर राहत की सीमा तय करने का समय नहीं है।  अगर अमीरों के 7.78 लाख करोड़ रु0 के ऋण माफ किए जा सकते हैं, तो जाहिर है कि संसाधनों कोई कमी नहीं है ।
🔵  इंसानी जिंदगियां बचाना और महामारी को शिकस्त देना, पहली प्राथमिकता है।
🔵  1.75 लाख करोड़ रु0 के जिस पैकेज की घोषणा की गयी है, उसमें अपने-अपने राज्यों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों के महत्वपूर्ण मुद्दे को छोड़ ही दिया गया है। हम बाहर के कई देशों से, विशेष विमान भेजकर भारतीयों को वापस लाए हैं। जाहिर है कि देश के भीतर अपने घर वापस जाने को मजबूर  हमारे इन बिरादरों को भी भोजन तथा शरण मुहैया करायी जानी चाहिए थी, फिर चाहे वे वहीं रुकते जहां वे इस समय हैं या फिर उन्हें परिवहन साधनों से अपने गृह राज्यों में पहुंचाया जाता।
🔵  यह विफलता इस 21 दिन के लॉकडॉउन के मकसद को ही विफल कर रही है। बड़ी-बड़ी भीड़ें जमा हो रही हैं, जिससे संक्रमण के समुदाय में ही फैल जाने का खतरा पैदा हो रहा है। इसका उपचार फौरन किया जाना चाहिए।
🔵  हालांकि, पैकेज में कुछ प्रस्ताव ध्यान देने वाले हैं, जैसे दोगुना खाद्यान्न देने का प्रावधान, तीन महीने के लिए मुफ्त गैस सिलेंडर का प्रावधान। पर प्रति परिवार एक किलोग्राम दाल का प्रावधान पूरी तरह से अपर्याप्त है। अच्छा पोषण, कोविड-19 के प्रतिरोध की कुंजी है। इससे वह उद्देश्य पूरा ही नहीं होता है।
🔵  बुजुर्ग विधवाओं तथा विकलांगों के लिए 1000 रु0 की घोषणा बहुत ही कम है। उनमें सभी को अपनी जिंदगी चलाने के लिए मदद की जरूरत होती है। 1000 रु0 कैसे पूरे पड़ेेंगे?
🔵  स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा कवर पर सरकार को एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। इस संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या इससे निजी क्षेत्र के स्वास्थ्यकर्मी भी कवर होते हैं । फिर उनकी आज पहली जरूरत है निजी सुरक्षा उपकरणों की और दवाओं की तथा टैस्टिंग की सुविधाओं की। उसका कोई जिक्र ही नहीं है।
🔵  सरकार ने एलान किया है कि हर किसान को 2000 रु0 दिए जाएंगे। लेकिन, यह तो 2019 के चुनाव से पहले घाोषित प्रधानमंत्री किसान योजना की ही एक किस्त होगी।
🔵  महिलाओं के नाम के जन धन खातों में 500 रु0 डाला जाना बहुत ही अपर्याप्त है। हमने सभी जनधन खाता धारकों और बीपीएल परिवारों के लिए, तीन महीने तक प्रति परिवार 5,000 रु0 हस्तांतरित करने की मांग की थी।
🔵  मजदूरों के लिए कोई खास लाभ नहीं दिया गया है। उनके प्रोवीडेंट फंड खातों में उनके मासिक वेतन का 24 फीसद जमा होना, उन्हें कोई अतिरिक्त राहत नहीं देता है। यह तो उनका अपना पैसा है, उनकी अपनी बचत का पैसा।
#सरकार_फौरन_निम्रलिखित_काम_करे ;
🔴  सभी गरीबों के लिए और खासतौर पर ऐसे परिवारों के लिए जिनके बच्चे मिड डे मील योजना का लाभ पाते रहे हैं, राशन के किटों  के प्रावधान के जरिए, भूख तथा कुपोषण पर अंकुश लगाया जा सकता है। केरल यह कर रहा है।
🔴 बड़े पैमाने पर छंटनियों तथा बैठकियों को देखते हुए, सरकार को कम से कम अगले तीन महीने तक मजदूरी के भुगतान की गारंटी करनी चाहिए।
🔴  किसानों को एक बार के लिए ऋण माफी दी जानी चाहिए।
🔴 यह फसल की कटाई का सीजन है। कम से कम घोषित न्यूनतम मूल्य पर खेेती की पैदावार के खरीदे जाने की गारंटी की जानी चाहिए और सुरक्षित तरीके से कटनी करने में किसानों की मदद की जानी चाहिए। इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
🔴  मध्य वर्ग, खासतौर पर कर्मचारियों के लिए, ऋणों के भुगतान को रोकने तथा ईएमआइ स्थगित करने के जरिए राहत दिलायी जानी चाहिए।
🔴  स्वयं-सहायता ग्रुपों के लिए ऋण की उपलब्धता का देश के 6.85 करोड़ परिवारों के लिए कोई मतलब ही नहीं है क्योंकि उनकी तो सारी गतिविधियां ही ठप्प हो चुकी हैं। उन्हें पैसे की मदद दी जाए ताकि सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।
🔴  मनरेगा की मजदूरी में 20 रु0 की बढ़ोतरी तो एक मजाक है। इस समय तो वैसे भी कोई काम चल ही नहीं रहे हैं। उन्हें जरूरत है सीधे नकदी हस्तांतरण की या काम हो या नहीं हो, मजदूरी के भुगतान की।                                                                                         
●● (वित्त मंत्री द्वारा घोषित कोविड पैकेज को बिल्कुल नाकाफी और संक्रमण के समुदाय में पैठने को रोकने के मकसद को ही विफल करने वाला करार देते हुए, #सी_पी_आइ_एम महासचिव, सीताराम येचुरी 26 मार्च को जारी बयान)


सीताराम_येचुरी