मूर्खता की महिमा
----------------------
मूर्खता से मधुर और कुछ भी नही ! मूर्खता की सुगंध चारों दिशाओं व्याप्त हो ही जाती है ! मूर्ख होना सुविधाजनक है ! मूर्ख को किसी भी काम के लिये ज़िम्मेदार नही ठहराया जा सकता ! वो ख़ुद सारे जगत की ज़िम्मेदारी होता है ! मूर्खता असीम आनंद का स्त्रोत है ! मूर्खता कवच है ! कोई भी विघ्न बाधा मूर्खता ओढ़े आदमी का बाल बाँका भी नही कर सकती ! मूर्ख कुछ भी वक्तव्य जारी कर सकता है ! उस पर बिना किसी की प्रतिक्रिया जाने स्वयं प्रसन्न हो सकता है ! वह स्वयंभू है ! वह किसी पर आश्रित नही ! मूर्खता उसे भावनाओं के मामले मे आत्मनिर्भर बनाती है ! ग़लतियों उसे डराती नही ! ग़लतियाँ उसे संकोच मे ,दुविधाओं मे डालने मे समर्थ नही होती ! वह इस मामले मे स्वतंत्र होता है !
ज्ञान सदैव से दुख का कारण रहा है ! ज्ञान आपको आपके कुछ करने के पहले ,कुछ तय करने के पहले ही डरा कर आपको रोक लेता है ! ज्ञान भ्रमित करता है ! अनिर्णय का कारण है ज्ञान ! मूर्खता सदैव त्वरित निर्णय लेने मे समर्थ होती है ! मूर्खता आदमी को निडर बनाती है ! वह आग मे कूद सकता है ! पहाड फाँद सकता है और बेधड़क पड़ौसी का गरेबान पकड सकता है ! मूर्खता भीषण आत्मविश्वास की जननी है ! और जैसा की आप जानते ही है आत्मविश्वास स्वयं मे बहुत बडा सद्गुण है !
मूर्ख किसी से सहमत नही होता ! मूर्ख असहमत होने वालो की दुर्गति करने मे समर्थ होता है ! इसलिये मूर्ख से सहमत होना ही उत्तम विकल्प है !
मूर्खता मुखर करती है ! मूर्ख मन मे नही रखता कुछ ! जो मर्ज़ी हो कहता है ! किसी के भी कुछ कहे जाने का बुरा नही मानता ! बुरा मान जाये तो सामने वाले का सर भले ही तोड़ दे पर मन मे विषाद नही पाले रहता ! मूर्खता निर्मल करती है मन को ! ग्लानि विषाद से मुक्त मन उसे स्वस्थ्य बनाये रखता है ! इस तरह मूर्खता को उत्तम स्वास्थ्य का कारण माने जाने पर भी किसी को आपत्ति नही होना चाहिये !
मूर्ख प्राय: स्वयं ही आनंदित बना रहता है ! पर मूर्खता सदैव बहुसंख्यक रहती है ! इसलिये अकेले हो जाने जैसी समस्या उसे कभी कष्ट नही देती !
मूर्ख मिलनसार होते है ! ताने उसे असहज नही करते ! लाभ हानि जैसी दुनियादारी से मुक्त होता है वो ! वो कभी भी किसी प्रतियोगिता मे नही पड़ता ! हार का डर उसकी नींदें नही उड़ा पाता ! ब्लडप्रेशर और शुगर जैसे रोगों से मुक्त निरोगी जीवन जीता है वो और दीर्घायु होता है !
मूर्खता वर्तमान मे जीती है ! भविष्य की चिताओं से मुक्त रहना स्वभाव है उसका ! वह कल के लिये कुछ बचाने जैसी मूर्खता मे नही पड़ता ना भूतकाल मे कुछ खो देना उसे कष्ट देता है ! ऐसी अलौकिक सोच उसे निर्वाण तक पहुँचने का सरल मार्ग उपलब्ध कराती है !
मूर्खता नैसर्गिक गुण है ! यह प्रकृति प्रदत्त वरदान है ! प्राय: मूर्खता जन्मजात होती है पर चतुर चालाक लोग मूर्खता के लाभ प्राप्त करने के लिये इसे ओढ़ कर इससे लाभान्वित होते ही रहते है !
मूर्खता प्रसन्नता का राजपथ है ! आईये मूर्खता की ओर बढ़े ! मूर्खता को ओढ़े ,मूर्खता को बिछायें और सुख को प्राप्त हों ! मुकेश नेमा
मूर्खता प्रसन्नता का राजपथ है