महान स्वतन्त्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी

आज कौमी एकता के उसूल पर कायम रहकर साम्प्रदायिक दंगों की विभाजनकारी आग को बुझाते हुए अपनी जान कुर्बान कर देने वाले महान स्वतन्त्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी (26 अक्टूबर 1890–25 मार्च 1931) की शहादत का दिन है। इस दिन हमें अपने जहन में यह जरूर याद करना चाहिए कि हमारे नायकों ने इस मुल्क को किस तरह मुक्कमल बनाया है। हमें यह दोहराना चाहिए कि हमारा कोई भी कदम ऐसा न उठे कि उस शहीद–शिरोमणि की आत्मा को कष्ट हो, उनके बलिदान की गरिमा को ठेस पहुँचे।


विद्यार्थी जी के सम्पादन में पत्रकारिता का प्रतिमान बनकर निकलने वाले अखबार 'प्रताप' ने शहीद–ए–आजम भगत सिंह को आरम्भिक ट्रेनिंग दी थी। वे संयुक्त प्रान्त कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी थे और क्रान्तिकारियों के अभिभावक भी। इस तरह वे कांग्रेस और क्रान्तिकारियों के बीच की भी एक कड़ी थे, जिससे आजादी की लड़ाई की भिन्न विचारधारों का गठबन्धन बनता था।
 
उनके बलिदान पर पण्डित नेहरू ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने भाव इस प्रकार व्यक्त किए, "रंज हुआ और दिल को समझाने पर भी दिल समझा नहीं। गणेश जी जैसे जिए, वैसे ही मरे अगर हममें से कोई आरजू करे और अपने दिल की सबसे प्यारी इच्छा पूरी करना चाहे तो वह इससे अधिक क्या माँग सकता है कि उसमें इतनी हिम्मत हो कि मौत का सामना अपने भाइयों की और देश की सेवा में कर सके और इतना खुशकिस्मत हो कि गणेश जी की तरह मरे।"


फिल्म्स डिवीजन ने इस महावीर पर 12 मिनट की डॉक्यूमेण्ट्री बनाई है। यह यूट्यूब पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन उसकी डीवीडी फिल्म्स डिवीजन की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। इस डीवीडी की कीमत ₹100 है।


रूपेश