लोग मुझे पत्थर का बनाकर पूजते है और जब जिन्दा सामने आता हूँ तो कुछ लोग पीटते है

साहब मेरी क्या गलती है:-        


साहब में सांड हुँ।कुछ लोग मुझे बीजार के नाम से भी जानते है।साहब यदि में हुँ तो गो वंश है।में आजकल काफी चर्चा में हुँ।कोटद्धार जनपद पौड़ी में रहता हूँ।मेरा कोई घर नहीँ है।बस कभी झंडा चौक कभी नजीबाबाद चौक पर ही घूमता रहता हूँ।जब थक जाता हूँ तो हाईवे पर ही आराम कर लेता हूँ।वैसे मेरी पुलिस से कोई दुश्मनी नहीँ है लेकिन मेरी आदत है टकराना अब झुण्ड तो रहे नहीँ जो अपनी सिर की खुजली पतैर से मिटा लें।हमतो अब पुलिस को ही निशाना बनाते है।अभी कुछ दिन पहले एक दारोगा जी झण्डा चौक पर उछाला था।बेचारे गंभीर रूप से घायल हो गए अभी भी इलाज करा रहे है।फिर एक पुलिस वाला और फस गया उसको झंडा चौक पर उछाला तो एक पता नहीँ कहाँ से पब्लिक का आदमी आ गया उसने उसे लपक लिया और वो गंभीर चोट आने से तो बच गया लेकिन गुम चोट आ गयी।साहब में क्या करूँ घर मेरा नहीँ खाने को मुझे हरा नहीँ बस ऐसे ही दर दर की ठोकर खा रहा हूं।वैसे में भोले बाबा का नादिया भी में ही हूं।जिस पुलिस वाले को मैंने उछाला था उसे पता है मेरा कोई दोष नहीँ है।ये तो मेरी जन्म से कुदरती आदत है।साहब यदि मेरा भी घर होगा और मेरे भी बच्चे होंगे तो में कियू सड़क पर आवारा सांड की तरह घूमूंगा।अपने घर में रहूँगा।मुझे ऐसी बरसात में बारिश में भीगने का शौक थोड़े ही है।साहब पुलिस से मेरी कोई शिकायत नहीँ है।मुझे और मेरे गोवंश को रहने की जगह और खाने के लिए चारा मिल जाये सब ठीक हो जायेगा।वैसे तो आप ताड़ बाढ़ लगाकर टीन सेड भी लगवा सकते हो।खाने का इंतजाम तो ऊपर वाला करा ही देगा।वैसे ऊपर वाला भूखा उठाता जरूर है लेकिन भूखा सुलाता नहीँ है।साहब वैसे लोग मुझे पत्थर का बनाकर पूजते है और जब जिन्दा सामने आता हूँ तो कुछ लोग पीटते है।साहब मुझे बचा लो।वैसे कुछ पागल लोग भी घूमते रहते है मैंने उनको देखा है साहब जब उनको रहने को छत नहीँ है तो मुझे कहाँ होगी।साहब कोई रैनबसेरा होगा मुझे उसका पता बता दो में खुद ही बहां चला जाऊंगा।साहब नगर पालिका में हमारे लिए कोई बजट तो पास होता होगा।जब में किसी की दुकान के सामने खड़ा होता हूँ तो वो मेरे ऊपर गर्म पानी डालते है और ठेली वाला पिटता है साहब मुझे बचा लो।


कृपाल सिंह