कोविड19 की भयावहता के बीच एक बार फिर हमारे 'महान् लोकतंत्र' होने की कलई खुल रही है!

माफ़ करें, यह किसी की आलोचना नहीं, यह आत्मालोचना है! हम सब भारतीय हैं! इसलिए हमें अपने अच्छे-बुरे पहलुओं को ईमानदारी से देखना, समझना और मंजूर करना चाहिए! बेहतर बदलाव की प्रेरणा तभी मिलेगी:
कोविड19 की भयावहता के बीच एक बार फिर हमारे 'महान् लोकतंत्र' होने की कलई खुल रही है! क्या ऐसी तस्वीरें जल्दी ही महाशक्ति या विश्वगुरु बनने का दावा करते किसी देश की हो सकती हैं? सोचिए, अपने संविधान में हम 'लोकतंत्र' हैं, 'सेक्युलर' हैं और 'समाजवादी' भी बताए गए हैं!
इन तस्वीरों के बारे में बताने की जरूरत नहीं कि इनमें दिखने वाले देश के बेहद मेहनती, उत्पादक और मन से सुंदर लोग हैं! इनकी जरूरतें, इच्छाएं और सपने भी हमारे कारपोरेट, उच्च वर्ग और मध्य वर्ग  की तरह असीमित नहीं हैं! ये लोग भले ही अपने लिए बहुत बड़े सपने न देखते हों पर समाज, देश और दुनिया के बड़े सपनों को ठोस आकार देते हैं!
सोचिए, बीते तिहत्तर सालों में हम भारतीयों, खासकर हमारे राजनेताओं, नौकरशाहों, कारपोरेट, अमीरों और योजनाकारों ने कैसा भारत बनाया है? ऐसा भारत जैसे-तैसे आज कोविड-19 से जूझने के लिए अभिशप्त है! किसी को नहीं मालूम, आगे क्या होगा! पर एक बात मुझे मालूम है, यह सिर्फ जनता, समाज और हर क्षेत्र के कुछ अच्छे प्रोफेशनल्स की जिजीविषा ही होगी, जो हमें इस चुनौती और संकट से उबार सकेगी!


वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश