चांदबाग में एक संकरी सी गली है. इस गली में एक घर शादी के लिए सजा हुआ है. सावित्री दुल्हन बनने वाली हैं. हाथों में मेहंदी लग चुकी है. हल्दी लगाई जा चुकी है. बारात आने का इंतजार है. लेकिन... इलाके में बलवा शुरू हो गया.
मुस्लिम बहुल इस इलाके में देखते देखते चारों तरफ धुआं धुआं हो गया. हिंसा का तांडव चरम पर था. मेन सड़क पर आग फैली हुई थी, गली में मौजूद घर में सावित्री बैठी रो रही थीं. सावित्री के परिवार के सपनों पर वज्रपात हो गया. शादी कैंसिल करने का निर्णय लिया गया.
तभी मोहल्ले के मुसलमान सामने आए. उन्होंने भरोसा दिया कि आप बिटिया की शादी कीजिए. जो होगा हम देख लेंगे. सावित्री की शादी हो रही थी. घर वाले शादी की रस्म निभा रहे थे. बाहर मुसलमान भाई पहरेदारी कर रहे थे. मुस्लिम और हिंदू सबने मिलकर सावित्री की शादी संपन्न कराई.
सावित्री के पिता कह रहे हैं कि दंगाई मेरे मोहल्ले के नहीं थे. हम लोगों में आपसी भाई चारा है. कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ. इन्हीं लोगों की वजह से मेरी बिटिया की शादी हुई.
सावित्री कह रही हैं कि मेरे मुस्लिम भाइयों ने आज मुझे बचाया. मेरे भाइयों की वजह से मेरी शादी हो पाई और रोने लगती हैं तो कोई समीना बेगम उनके आंसू पोंछ देती हैं. समीना कहती हैं कि जिस दिन बिटिया की जिंदगी का सबसे खुशी का दिन था, उस दिन उसे रोना पड़ा.
लोगों में ऐसा प्रेम है तो फिर इस मोहल्ले को जलाया किसने? उन्हें पहचान लीजिए, वे आपके बच्चों के सपनों को जलाकर अपनी कुर्सी के सोने को खरा बना रहे हैं. वे ही आपके दुश्मन हैं. दो कौड़ी के किसी घृणास्पद नेता के चलते इंसानियत से अपना भरोसा मत उठने दीजिए.
आप चाहे जितनी नफरत फैलाएं लेकिन सावित्री यह कैसे भूलेगी कि उसके मुस्लिम पड़ोसी न होते तो उसकी शादी न हो पाती. भारत इसी तरह खूबसूरत है और इसलिए दुनिया में सराहा जाता है. ट्रंप आये थे तो गांधी धाम ही देखने गये, गोडसे की पिस्टल का दर्शन करने नहीं गये.
इस तस्वीर के स्याह कैनवस के बीच जरा सा जो उजाला दिख रहा है, वह सावित्री नाम की दुल्हन नहीं हैं. वह इंसानियत, प्रेम और हमारे भविष्य की उम्मीद है. वह आने वाले हिंदुस्तान का मुस्तक़बिल है. हमें आपको मिलकर ये उम्मीद बचा लेनी चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह अनूठी कहानी पूरी दुनिया को सुनाई है. इस खूबसूरत भारत को बचाने का जिम्मा आपका है ताकि दुनिया में आप सिर उठाने लायक बने रहें.