कर्फ्यू

एक कश्मीरी दोस्त का मेसेज़ आया है
लिखा है,


कर्फ्यू है एहतियात से रहिएगा
पानी कम गिराइएगा, नमक कम खाईएगा।


जाफरान की भी चाय बनाई जा सकती है
आटे में नमक डाल कर
पानी उबालकर भी रोटी खाई जा सकती है।
चावल की पीछ मे छोंक से
एक वक्त की सालन चलाई जा सकती।।


दो कुन्बे एक चुल्हे पर खाना पकाए
साझी लकड़ी जलाएँ ,साथ बैठ खाऐ।।
ऐसे करके बरकत रहती है
चावल की पिपि,तेल की कुप्पी
ज़्यादा दिन चलती है।।


माँ जी की दवाई ख़त्म हो तो
पानी में हल्दी घोलने से आराम आएगा।
अब्बा जी को गुनगुना घी गुटनो में लगाइएगा।।
बच्ची गूमने की ज़िद करें तो
बॉलकनी में कंधे पर घुमा आइएगा।।


खिडकी में से पड़ोसी से बात करते रहना।
कुछ कमदिल होते है, दिलासे देते रहना।
उधार लेने देने में शरम नहीं है,
देहशत के बाद अमन में लौटाते रहना।


किसी नाके पर पुलिस पुछे तो
हाँ जी, ना जी में कहना।
आधार, वोटर, लेसंस खीसें में रखना।


और कई बातें हैं जो तुमे सिखानी है
कुछ दिन की बात है,
आपको कौन सा हमारी तरह
कर्फ्यू में ऊमर बितानी है..


Himanshu Kumar