जस्टिस गोगोई और के.के.नायर 

ऐसा तो होना ही था 
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जस्टिस गोगोई और के.के.नायर 
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महामहिम राष्ट्रपति ने अभी हाल ही में रिटायर्ड हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया तो 1949 में फैज़ाबाद ( अयोध्या ) के कलेक्टर रहे और बाद में जनसंघ के सांसद बने के के नायर की कहानी याद आ गई l


साल 1949 में 22 और 23 दिसंबर की आधी रात मस्जिद के अंदर कथित तौर पर चोरी-छिपे रामलला की मूर्तियां रख दी गईं. अयोध्या में शोर मच गया कि जन्मभूमि में भगवान प्रकट हुए हैं. मौक़े पर तैनात कांस्टेबल के हवाले से लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस घटना की सूचना कांस्टेबल माता प्रसाद ने थाना इंचार्ज राम दुबे को दी. ‘50-60 लोगों का एक समूह परिसर का ताला तोड़कर, दीवारों और सीढ़ियों को फांदकर अंदर घुस आया और श्रीराम की प्रतिमा स्थापित कर दी. साथ ही उन्होंने पीले और गेरुआ रंग में श्रीराम लिख दिया.’


‘युद्ध में अयोध्या’ नामक अपनी किताब में हेमंत शर्मा ने मूर्ति से जुड़ी एक दिलचस्प घटना का ज़िक्र किया है. उनके मुताबिक, "केरल के अलेप्पी के रहने वाले केके नायर 1930 बैच के आईसीएस अफ़सर थे. फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी रहते इन्हीं के कार्यकाल में बाबरी ढांचे में मूर्तियां रखी गईं या यूं कहें इन्होंने ही रखवाई थीं. बाबरी मामले से जुड़े आधुनिक भारत के वे ऐसे शख्स हैं जिनके कार्यकाल में इस मामले में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट आया और देश के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर इसका दूरगामी असर पड़ा.” 


"नायर 1 जून 1949 को फ़ैज़ाबाद के कलेक्टर बने. 23 दिसंबर 1949 को जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में स्थापित हुईं तो उस वक्त के पीएम जवाहरलाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत से फौरन मूर्तियां हटवाने को कहा. उत्तर प्रदेश सरकार ने मूर्तियां हटवाने का आदेश दिया, लेकिन ज़िला मजिस्ट्रेट के के नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई.”


“जब नेहरू ने दोबारा मूर्तियां हटाने को कहा तो नायर ने सरकार को लिखा कि मूर्तियां हटाने से पहले मुझे हटाया जाए. देश के सांप्रदायिक माहौल को देखते हुए सरकार पीछे हट गई. 


डीएम नायर ने 1952 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. चौथी लोकसभा के लिए वे उत्तर प्रदेश की बहराइच सीट से जनसंघ के टिकट पर लोकसभा पहुंचे. इस इलाके में नायर हिंदुत्व के इतने बड़े प्रतीक बन गए कि उनकी पत्नी शकुंतला नायर भी कैसरगंज से तीन बार जनसंघ के टिकट पर लोकसभा पहुंचीं. उनका ड्राइवर भी उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य बना."


विवादित स्थल से मूर्तियां न हटाए जाने के खिलाफ मुसलमानों में तीखी प्रतिक्रिया हुई. उन्होंने इसका विरोध किया. दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया. इस विवाद का अंतिम फैसला चीफ जस्टिस गोगोई के नेतृत्व वाली न्यायमूर्तियों की पीठ ने किया और उस विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया l


यहां यह उल्लेखनीय कि राममंदिर के निर्णय में जस्टिस गोगोई और अन्य माननीय न्यायमूर्ति ने 1949 में बाबरी मस्जिद में जबरिया मूर्ति रखने और 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस को गैर कानूनी माना था l


 इस तरह की कहानियां प्रशासन और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर संदेह पैदा करती है l लोगों का विश्वास खंडित करती हैं l


Gopal rathi