मा. मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के नाम पत्र

मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र की राजनीति अब केवल दो-तीन राजनीतिक दलों के बीच का विषय नहीं है। यह प्रमाण है कि भारत के नागरिक केवल मतदान करने के लिये नियुक्त निष्प्राण जीव माने जाते हैं। राजनीतिक दलों का गठबंधन छिन्न भिन्न कर लेना, विधायकों का हित साधन करते हुए त्यागपत्र दे देना, दल बदल या राजनीतिक झुंड बन कर लोकतंत्र के साथ बार बार हिंसा करना आज के सामान्य मानक मान लिये गये हैं।


न्यायपालिका भी राजनीति को केवल संख्या के नजरिये से ही जांचती है, नैतिकता और अनैतिकता के नजरिये से कभी नहीं जांचती। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति भी दरबान बने हुए हैं। हमने इस विषय पर सीमित समय में अपनी भावनाओं से माननीय मुख्य न्यायाधीश को अवगत करवाया है। उम्मीद करते हैं कि सत्ता हमारा संदेश माननीय न्यायाधीश तक पहुँचने देगी। व्यवस्थायें लोगों से और उनकी सोच से निर्मित होती है, इसीलिये उम्मीद करते हैं कि भारत के लोग भी उन लोगों और उनके दलों से सवाल पूछेंगे और राजनीतिक सट्टेबाजी, विधायकों की खरीद फरोख्त के अधर्म को रोकने की पहल करेंगे। सवाल पूछिये, पत्र लिखिए, बात कहिये ताकि जिम्मेदारों को यह पता चले कि भारत मरे हुए नागरिकों का मुल्क नहीं है। अपनी दलीय राजनीतिक पक्षधरता को कहीं छोड़ दीजिये, नागरिक राजनीति कीजिये। कहिये, बोलिए और गलत का अहिंसक प्रतिरोध कीजिये।


हस्ताक्षर
Chinmay Mishra
Sachin Kumar Jain