आदिवासियों को कोरोना के साथ नस्लीय हिंसा से भी लड़ना पड़ रहा है

भारत में आदिवासियों के साथ नस्लीय भेदभाव और हिंसा उतना ही पुराना है जितनी कि तथाकथित भारतीय सभ्यता. आदिवासी चाहे काले हों या गोरे वह हमेशा से ही नस्लीय भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं. कोरोनावायरस की महामारी के दौरान पिछले दो सप्ताह में देश के भीतर, विशेषकर उत्तर-पूर्व के आदिवासियों-मूलवासियों के साथ नस्लीय भेदभाव और हिंसा की अनेक घटनाएं हुई हैं. ये घटनाएं बताती हैं कि भारत का गैर-आदिवासी समाज आदिवासियों के प्रति कितना असंवेदनशील है और अपनी नस्लीय मानसिकता बदलने को बिल्कुल तैयार नहीं है. 


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A j pankaj