बहुत दिनों से "सर्प" या "साँप" जैसे विषय पर कुछ लिखने के लिए सोच रहा था। बचपन मे साँपों का खूब खेल देखा होगा आप लोगो ने । सर्प या साँप का नाम सुनकर अच्छो अच्छो की हालत खराब हो जाती है । मुझे भी बचपन मे बहुत डर लगता था साँपों को देखकर । इसके कई कारण थे। भारतीय समाज मे ही नही बल्कि विश्व के कई देशों में साँपों के संदर्भ में कई भ्रामक कथाएं प्रचलित है । बल्कि धार्मिक पुस्तकों में भी साँपों से सम्बंधित कई विचित्र कथाएँ पाई जाती है ।
बचपन मे जब कभी गली मोहल्ले में कोई साँप निकल आता था तो हम लोग डंडे भाले लेकर उस साँप को मारने के लिए सब दौड़ पड़ते थे । हमारे दिमाग मे बचपन से ही साँपों के बारे में गलत सलत फितूर की बाते ठूस दी जाती है जैसे साँप आपको सम्मोहित कर लेती है । मारते वक्त साँप के आँखों मे नही देखना चाहिए । साँप आपकी तस्वीर अपने आंखों में खींच लेती है। साँप अगर नाग हो तो बाद में नागिन अपने नाग के मौत का बदला लेने आती है । दूसरा सबसे बड़ा गलत एवम अतिभ्रामक बात की नागों के सर में मणि पाई जाती है जिसे "नागमणि" भी कहते हैं। जब कोई नाग रात को शिकार करने निकलता है तो अपना मणि उगल देता है जिससे खूब तेज रोशनी फैल जाती है।उस मणि को अगर पाना चाहते हो तो उसके ऊपर गाय का गोबर डाल देना चाहिए । सच्चाई तो यह है की साँपों को दिखाई ही नहीं देता । वह अपने जीभ के द्वारा किसी वस्तु की स्थिति का पता लगाया है । यह सब नीरा बकवास बात है कि उसके आंखों में कोई कैमरा होता और ना ही उसके सिर में मणि जैसा कोई चीज होता है । कुछ शातिर सपेरे लोग गाँव देहातों में जाकर अनपढ़ लोगो को मणि के नाम पर काला पत्थर पकड़ा कर 10-20हजार रुपये ऐंठ लेते हैं । ऐसे चालाक सपेरे अपने साँपों का माइनर ऑपरेशन करके उसके सिर में काला पत्थर छुपा देते हैं फिर सबके सामने किसी चाकू या ब्लेड से उस जगह काटकर पत्थर निकालकर नागमणि बोलकर बेच देते हैं ।
साँपों से सम्बंधित जो भी कहानियाँ है वे सब छोटे बच्चों को सुनाई जाने वाली मनगढंत कथा कहानियाँ मात्र है उसमे तनिक भी सत्यता नही है । हाँ यह सत्य है की केवल कुछ साँप जैसे करैत ,धामिन ,किंग कोबरा जहरीले होते हैं । सब साँप जहरीले नही होते।
बॉलीवुड की मूवी ने भी 60-70 के दशक में साँपों के बारे में खूब उल्टा पुल्टा रायता फैलाया । इच्छाधारी नागिन ,नागिन, नगीना, नागिन का इंसाफ,निगाहें आदि जैसे काल्पनिक फिल्में साँपों पर ही आधारित थी इसने भारतीय दर्शकों के दिमाग में साँपों के प्रति खूब नफरत और डर पैदा की ।
लेकिन भारत जैसे देश मे साँपों के प्रति धार्मिक आस्था भी खूब है । कहते हैं की साँप हिन्दू धर्म के सबसे बड़े देव महादेव के गले का हार है इस लिए भारत में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग साँपों को नही मारते है बल्कि उनकी पूजा करते हैं। भारत के कई मंदिरों में साँपो की मूतियाँ पाई जाती है ।मिस्र में भी कई पिरामिडों के भित्ति चित्रों में साँपों को दर्शाया गया है । सर्पमुण्ड वाले मिस्री देवताओं का जिक्र भी पाया जाता है । बाइबल में सर्प का जिक्र बाइबल की प्रथम पुस्तक 'उत्पति' या जेनेसिस' और आखरी पुस्तक 'बुक ऑफ रेवेलशन' में भी पाया जाता है।
भारत के प्राचीनतम इतिहास में 'नाग' जाति या 'नागवंशीयो ' का जिक्र पाया जाता है । भारत के झारखंड प्रदेश के जनजाति क्षेत्रो में 'नाग' मुंडा जनजाति के कीली या गोत्र को कहा जाता है ।उनके नाम के साथ सरनेम 'नाग' लगाया जाता है।मुंडा जनजाति में 'नाग एक 'टोटम' है यानी नाग सरीसृप जाति के जीवों का संरक्षक ।और यह ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित भी है की भारत मे नागवंशियो का प्रभुत्व हुआ करता था । इसी लिए भारत को 'नागों' का देश भी कहा जाता था।
भारतीय उपमहाद्वीप में इंडियन कोबरा यानी नाग को बहुत ही जहरीला माना जाता है ।उसका थोड़ा सा जहर भी एक घोड़े को पलभर में गिरा सकता है ।साँपों के काटने से भारत में सैकड़ो लोग मारे जाते है । इंडियन कोबरा चूहा खाता है जिसके कारण अक्सर यह मानव बस्तियों के आसपास, खेतों में एवं शहरी इलाकों के बाहरी भागों में अधिक मात्रा में पाया जाता है।
- राजू मुर्मू
सिटीजन जर्नलिज़म फोरम