राम के नाम पर  जै श्री राम 

 


(यह जेएनयू /जामिया/एएमयू की नहीं गार्गी कॉलेज की व्यथा है)


कमला नेहरू कॉलेज की अध्यापिका इशिता नागर ने गार्गी कॉलेज में घटित हुई भयानक घटना के बारे में विस्तार से लिखा है। पेश है उनका पूरा विवरण:


मैं चुनाव से दो दिन पहले बृहस्पतिवार छह फरवरी को कॉलेज में पढ़ा रही थी। जब कक्षा में मेरी आवाज बाहर उठने वाले जैश्रीराम के नारों के बीच डूबने लगी। हमारी कक्षा के बच्चे उससे विचलित होने लगे और उन लोगों ने खिड़की के बाहर झांकना शुरू कर दिया। उन्होंने मुझे बताया कि हमारे कॉलेज (कमला नेहरू कालेज) और गार्गी कॉलेज को जोड़ने वाली सड़क के सामने से एक बड़ी रैली गुजर रही है। समर्थक गार्गी कॉलेज और कमला नेहरू कॉलेज को जोड़ने वाली सड़क से गुजर रहे थे। मैंने उनसे इसे भूलकर लेक्चर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। यह सब कुछ बेहद ध्यान भंग करने वाला था। मैंने इस बात पर अचरज जाहिर करते हुए उनसे पूछा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के दो प्रमुख कॉलेजों के सामने से रैली ले जाने की उन्हें अनुमति किसने दी? क्या कालेजों और अस्पतालों के सामने से गुजरने वाली सड़कों पर ऐसी अनुमति दी जानी चाहिए? खासकर महिलाओं के कॉलेजों के सामने से। और इस बात को देखते हुए कि इस तरह की रैलियां हर तरह के समाज विरोधी तत्वों को आकर्षित करती हैं।


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दो घंटे बाद अपनी कक्षा समाप्त कर जब मैं कॉलेज से बाहर गयी तो हमारे कॉलेज के बाहर की सभी सड़कें जाम थीं। वहां पुरुषों से भरी एक ट्रक में लोग जैश्रीराम का नारा लगा रहे थे। ट्रक के पीछे बीएमडब्ल्यू, फार्चुनर और मर्सिडीज जैसी पॉश गाड़ियां खड़ी थीं। मैंने देखा कि गले में माला लादे लोग कार की खिड़कियों से बाहर लटक रहे थे।  


एक 12 साल का युवा लड़का अपने रिश्तेदार की एक लग्जरी गाड़ी की छत पर हाथों में तिरंगा लेकर खड़ा था। और जैश्रीराम-जैश्रीराम चिल्ला रहा था। यह दक्षिणी दिल्ली है जहां राजनीतिक रैलियां हाई लग्जरी कारों में निकाली जाती हैं। उसके बाद हमने देखा कि युवा लड़कियां पूरी तरह से सज-धज कर अगले दरवाजे पर होने वाले कॉलेज समारोह में भाग लेने के लिए जा रही हैं। जहां मशहूर गायक जुबिन नौटियाल गाना गाने वाले थे। बहुत सारी लड़कियों के लिए यह उनका पहला कॉलेज समारोह था। अपनी तरुणाई और स्वतंत्रता का उत्सव जो आने वाले कई सालों तक उनकी यादों में बना रहने वाला था। 


मैं अभी घर पहुंची ही थी कि शराबी तत्वों के इस बड़े समूह के हाथों भयानक हमले की खबर हमने सुनी जो हर नियम और कानून का उल्लंघन कर उनके परिसर में घुस गए थे। मैं कुछ लड़कियों को कोट करने जा रही हूं जिन्होंने अपनी परेशानियों को सोशल मीडिया के जरिये जाहिर किया है।


‘किसी गधे ने मेरा हिप पकड़ लिया’, ‘एक दूसरे ने मेरा स्तन छुआ’, ‘किसी दूसरे शख्स ने अपने डिक को मेरी जांघों पर रगड़ दिया’, ‘एक बदतमीज ने अपना हाथ मेरी दोस्त के स्वीटर में डाल दिया और उसकी ब्रा को छूने लगा’, ‘मंच पर चढ़े कुछ आदमियों ने चिल्लाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उसके मालिक ने उन सभी से नीचे उतरने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। यहां तक कि उनमें से एक ने ट्रैंपोलाइन के मालिक को एक चाटा जड़ दिया।’, ‘एक लड़का मेरे सामने बेहद अश्लील तरीके से डांस कर रहा था।’, ‘उन लोगों ने गेट तोड़कर गिरा दिया था, फिर दीवार पर चढ़ गए, इधर-उधर शर्ट उतारकर नंगे घूमने लगे, शराब के नशे में महिलाओं के ब्लाउज में हाथ डालने लगे और इस तरह से हंस रहे थे जैसे वो कुछ कर ही नहीं रहे हों।’  


प्रशासन ने क्या किया? पुलिस ने एक घंटा पचास मिनट तक भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रही। प्रधानाचार्य का कहना है कि वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी। और यह कि उनके लिए परिसर में निर्धारित दायरे से बाहर जाना छात्राओं की अपनी च्वाइस थी। प्रधानाचार्य मैडम ने छात्राओं के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी थी। और उस रेखा को पार करने के लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। ‘अगर तुम खुद को इतनी असुरक्षित महसूस कर रही हो तो समारोह में ही क्यों आयी’?


मैं आप को याद दिलाती हूं: देश की राजधानी के सबसे पॉश इलाके में उनके कालेज के भीतर शराब पिए पुरुषों ने महिलाओं से छेड़छाड़ की है। पुलिस उनकी रक्षा करने में नाकाम रही। प्रशासन उन्हीं को जिम्मेदार ठहरा रहा है। 


उसके बाद क्या होगा? महिला छात्रों से कहा जाएगा कि आइंदा वो इस तरह के किसी भी समारोह में हिस्सा लेने न जाएं। उनके बारे में फैसला यह देखकर किया जाएगा कि उन्होंने क्या कपड़े पहन रखे हैं। अगले साल उन्हें इस समारोह की याद दिलायी जाएगी और फिर समारोह के दायरे को छोटा करने के लिए कहा जाएगा जिससे समाज विरोधी तत्व ज्यादा आकर्षित न हों। एक बार फिर समाज को यह याद दिलाया जाएगा कि महिलाओं के कॉलेजों की सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन और उनकी रक्षा कितना मुश्किल है। कुछ अपनी लड़कियों को कॉलेज न भेजने तक पर विचार करेंगे। कुल मिलाकर ‘लड़कियां खुली तिजोरी होती हैं’। इस बीच शराब पिए पुरुष छुट्टा घूमते हुए एक दूसरे कॉलेज के समारोह में पहुंच चुके होंगे। तथा एक और युवा लड़कियों के समूह के साथ छेड़खानी कर रहे होंगे। 


मैं आप से पूछती हूं यह सब कुछ कब खत्म होगा? आखिर में अपने देश, अपने शहर, अपने कॉलेज में महिलाएं कब सुरक्षित महसूस करेंगी? कहते हैं रावण ने भी सीता को कभी नहीं छुआ था। ये कौन लोग हैं आप ही पहचानें।


साभार: जनचौक