प्रजातंत्र में असहमति या प्रतिरोध को निर्ममता से कुचलने वाले दिन ब दिन खूंखार होते जा रहे हैं

ये हैं बनारस की युवा व्यवसायी सृष्टि कश्यप। पुलिस ने इन्हें और इनकी मां को  खुंखार अपराधी बता कर इन पर घोषित कर दिया है।  गक्त 24 जनवरी को यू पी की पुलिस ने बनारस के बेनिया बाग़ पर चल रहे शांतिपूर्ण धरने को जबरिया समाप्त करवा दिया था। उसके बाद पुलिस ने 32 लोगों पर शांति भंग, बलवे जैसे केस लाद दिए। यही नहीं स्थानीय अदालत में उनकी जमानत अर्जी खारिज हो गयी।
लोग अपनी जान बचा कर भाग रहे हैं और पुलिस धमका रही है कि इस बार पकड़ा तो "लखनऊ " वाला हाल करेंगे।
 प्रजातंत्र में असहमति या प्रतिरोध को निर्ममता से कुचलने वाले दिन ब दिन खूंखार होते जा रहे हैं और असहमति को देश द्रोह का तमगा दिया जा रहा है। श्रष्टि कश्यप कपड़ों का न लाइन व्यापार करती हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। जिस देश में चिन्मयनन्द जैसे बलात्कार आरोपी का स्वागत एन सी सी कैडेट से करवाया जाता है वहां जन आंदोलन में भागीदारी पर अपराधी जैसा पोस्टर लगाना शर्मनाक है।