Satyendra PS
मैं इस बात से कन्विंस नहीं हूँ कि नरेंद्र मोदी अच्छा काम करना चाहते हैं और समाजवादी व्यवस्था दुनिया भर में फेल है इसलिए वह जो भी सरकारी है, उसे बेचकर गरीब गुरबों का जीवन स्तर सुधारने और निजीकरण कर उद्योगों के माध्यम से देश के तेज विकास की मंशा रखते हैं।
मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी आरएसएस की मनुवादी आपराधिक मानसिकता के हैं और उनका मानना है कि सामाजिक असमानता दूर नहीं की जा सकती है। वह आरएसएस की उस आपराधिक मानसिकता के प्रतिनिधि हैं जिसमें यह माना जाता है कि कुछ जातियां सेवा करने और कुछ जातियां शासन करने के लिए पैदा ही हुई हैं। महिलाएं बच्चा पैदा करने के लिए और घर की चहारदीवारी के भीतर पर्दे में रहने के लिए होती हैं।
मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी बेचारे नहीं, अपराधी हैं। उन्हें बेचारे होने का बेनीफिट ऑफ डाऊट तब दिया जा सकता था, अगर वह पहली बार सत्ता में आए होते। नरेंद्र मोदी 13 साल मुख्यमंत्री और साढ़े 5 साल देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। यानी सत्ता के शीर्ष पर 18.5 साल। इस बीच उन्होंने एक भी प्रशासनिक फैसला ऐसा नहीं किया है जो इस देश के वंचितों के हित मे हो। उन्होंने हमेशा पूंजीपतियों और धनिक वर्ग का पोषण किया है। इस हद तक पोषण किया कि गरीब वर्ग इस कदर भिखारी हो गया कि वह अमीरों के बनाए सामान खरीदने की हालत में नहीं है। अब हर सेक्टर मंदी में है। उद्योगपति ही अब चिल्ला रहा है कि पब्लिक को कम से कम इतने पैसे दो कि हमारा धंधा चले। पब्लिक ही जिंदा न बची तो हम किस पर राज करेंगे।
मनमोहन भी पूंजीवादी पोषक थे। उसके बावजूद उन्होंने फिक्की सभागार में उद्योगपतियों को धमकाया कि अगर देश के वंचित तबके को विकास में भागीदार न बनाया तो मजबूरन हमें कानून बनाकर यह करना पड़ेगा। परिणाम यह हुआ कि दलितों का उद्योग संगठन डिक्की बन गया। तमाम कारोबार में दलित घुसे।
नरेंद्र मोदी अपराधी है। 18.5 साल के शासन में मोदी का एक फैसला, एक काम बताएं जिससे समाज के वंचित तबके को लाभ हुआ हो? सिर्फ एक काम? कोई नवोदय विद्यालय की चेन खोली हो जहां गरीबों के प्रतिभाशाली बच्चे मुफ्त पढ़ लें? कोई काम? प्लीज मदद करें।
और अगर इतना ही मजबूर है मोदी कि वह वंचितों के लिए चाहकर भी अच्छा नहीं कर पा रहा है तो फिर सत्ता में क्यों है? इतिहास मोदी को एक जन विरोधी, गरीब विरोधी, अय्याश, क्रूर, मूर्ख, हिंसक शासक के रूप में ही याद करेगा।