मंन्दिर-मस्जिद-गिरिजाघर की तरफ नहीं, स्कूल की तरफ बढ़ो !


थॉमस अल्वा एडिसन ने कभी किसी खुदा, ईश्वर या गॉड को नहीं माना और दुनियां के हर मजहब, हर विश्वास के मानने वालों के घरों को रोशन कर दिया, लोगों की जिंदगी से अंधेरे को विदा कर दिया। इसलिए दुनियां आज खुदा, ईश्वर या गॉड की पावर से ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी पर विश्वास करती है। जेम्स क्लार्क मेक्सवैल के पावर यानी इलेक्ट्रीसिटी से हमारा जीवन दौड़ दौड़ लगा रहा है।


दुनियां के कितने ऐसे रोग आसमानी अल्लाह, गॉड या ईश्वर का नाम लेते ही ठीक हो जाते हैं, यह मुझे नहीं मालूम, लेकिन एलेक्सजेंडर फ्लेमिंग के अविष्कार किये गये एक एंटीबायोटिक दवाएं खाने से हर मज़हब और हर विश्वास के लोग ठीक हो जाते हैं। हजारों हजार जन्मजात बीमारियां कलमा या रामायण पढ़ने से, मन्त्रों के जाप से अथवा बाइबिल के पाठ से विलुप्त नहीं हुई, बल्कि एडवर्ड जेनर के टीकाकरण विधि ढूंढने से विलुप्त हुई। हम जिस बुर्राक या उड़न खटोले पर बैठने की कल्पना करते रहे और अपने रसूल या भगवान को धार्मिक किताबों के माध्यम से आसमान में घुमाया, उस आसमान की सैर को आज आम आदमी तक पहुंचाने वाली थ्योरी राईट ब्रदर्स की थी, कोई धर्म शास्त्रों की नहीं थी।


 


अपने से दूर किसी व्यक्ति को सन्देश भेजना पहले महाभारत के किरदार संजय अथवा अल्लाह गॉड के लिए ही संभव था, आज किसी भी इन्सान के लिए अपने किसी परिचित को न केवल सन्देश भेजना, बल्कि बात करना, उसे लाइव भी देख लेने को एलेग्जेंडर ग्रैहम बेलमार्टिन कूपरजॉन लोगी बैर्ड जैसे लोगों ने संभव बनाया।


इसलिए आँखों को खोल लो और बंद दिमाग भी, क्योंकि कोई ईश्वर नहीं आएगा, तुम्हारा भला करने। यही मनुष्य ही तुम्हारा अपना है, तुम किसी और अलग, गॉड, अल्लाह और भगवान के चक्कर में क्यों पड़े हो? पृथ्वी के जीव और जंतु ही तुम्हारे सखा, बन्धु और जीवन के आधार हैं। उनके बिना तुम्हारा जीना एक दिन भी संभव नहीं होगा। इसलिए उनके साथ प्रेम, करुणा और सहयोग बरतो। उनके जीवन से उतना ही लो, जितना ज़रूरी है। 


पेड़, जंगल, चिड़ियाँ, नदी, पहाड़, मिटटी, जमीन, सूरज आदि सिर्फ तुम्हारा ही नहीं है, बल्कि सभी जीवों का है। एक दुसरे का है। इसलिए इसे सबमें बांटकर, अपनी जरूरतों के लिए उपभोग करो। इसके लिए अपनी इच्छाओं को अनियंत्रित मत बढ़ाओ, और न ही धन कमाने के लिए पृथ्वी और इसके प्राकृतिक संसाधनों का नाश करो। यह जो प्रकृति का उपहार, तुम्हें मिला है, इसका सम्मान करो।


भगवान, अल्लाह और गॉड के कृत्रिम कल्पनाओं की जगह खुद में, इन्सान में, जीव और जगत में विश्वास करो। इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए तर्क, विज्ञान, स्वतंत्र चिंतन और सबसे बढ़कर प्रेम तथा जीव मात्र के प्रति करुणा की भावना रखो।


अतः आंखें खोल कर अपनी बुद्धि से काम करो, मंन्दिर, मस्जिद और गिरजाघर की तरफ नहीं, प्रेम, करुणा, सहयोग, तर्कशीलता और विज्ञान की तरफ बढ़ो। इनको सीखने के स्रोत की तरफ बढ़ो। शिक्षक और स्कूल की तरफ बढ़ो।


साभार तर्कशील भारत


– शेषनाथ वर्णवाल