कवि प्रदीप के  105 वे जन्मदिवस के  पर नमन


कवि प्रदीप 'ऐ मेरे वतन के लोगों' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1962 के 'भारत-चीन युद्ध' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। भारत रत्न सम्मानित स्वर कोकिला लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। फ़िल्मों में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें 1998 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी दिया गया। उनका हर फ़िल्मी-ग़ैर फ़िल्मी गीत अर्थपूर्ण होता था और जीवन को कोई न कोई दर्शन समझा जाता था। उमके प्रमुख गीत जो अमर है -
ऐ मेरे वतन के लोगो
"साबरमती के संत" (जाग्रति)
"हम लाये हैं तूफ़ान से" (जाग्रति)
"आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ" (जाग्रति)
"चल अकेला चल अकेला" (संबंध)
"चल चल रे नौजवान" (बंधन)
"चने जोर गरम बाबू" (बंधन)
"दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है" (किस्मत)
"कितना बदल गया इंसान" (नास्तिक)
"चलो चलें माँ" (जाग्रति)
"तेरे द्वार खड़ा भगवान" (वामन अवतार)
"दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले" (दशहरा)
"पिंजरे के पंछी रे" (नागमणि)
"कोई लाख करे चतुराई" (चंडी पूजा)
"इंसान का इंसान से हो भाईचारा" (पैग़ाम)
"ओ दिलदार बोलो एक बार" (स्कूल मास्टर)
"हाय रे संजोग क्या घडी दिखलाई" (कभी धूप कभी छाँव)
"चल मुसाफिर चल" (कभी धूप कभी छाँव)
"मारने वाला है भगवन बचाने वाला है भगवन" (हरिदर्शन)
"मैं तो आरती उतारूँ" (जय संतोषी माँ)
"यहाँ वहां जहाँ तहां" (जय संतोषी माँ)