इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का एक हिस्सा आम लोगों की भावनाओं से खेलकर देश में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिशों में लगा है

योगी आदित्यनाथ, गिरिराज सिंह, अनुराग ठाकुर, प्रवेश सिंह, साध्वी प्रज्ञा, अकबरुद्दीन ओवैसी, शरजील इमाम, कुछ सिरफिरे स्वामी और मौलाना और अब उनमें एक नया नाम वारिस पठान जैसे उन्मादियों के बयानों को उछाल कर एक एजेंडे के तहत इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का एक हिस्सा आम लोगों की भावनाओं से खेलकर देश में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिशों में लगा है। सोचकर देखिए तो  पागल दरअसल वे बयानवीर नहीं, आप और हम ख़ुद हैं। मेरी बातों पर भरोसा न हो तो अपने-अपने धर्म के इन झंडाबरदारों को चुनकर कुछ दिनों के लिए अज्ञात जगह में बंद कर दीजिए। इस निर्देश के साथ कि जितना लड़ना-भिड़ना है, यहां आपस में लड़-भिड़कर फरिया लें। यक़ीन मानिए, ये लोग साथ बैठ कर बिरयानी भी खाएंगे, पोहा भी, हलवा भी और हंसते-खेलते एक साथ बाहर निकलेंगे। इन सभी लोगों के बीच एक अदृश्य वैचारिक एकता है और वे अपने-अपने तरीके से, अपने अपने हित में देश का सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने में लगे हैं।


इसके विपरीत इनके भक्तों और समर्थकों को कभी किसी एक जगह बंद करके देखिए ! यक़ीन मानिए, कुछ ही देर में ये सभी लोग आपस में लड़कर मर-खप जाएंगे।


ध्रुव गुप्त


लेखक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी है