गावोंकारी व्यवस्था को हर हालात में बचाना होगा।


समाजवादी विचार यात्री
 गोवा के नेता विपक्ष से मिले


एन पी आर में नाम दर्ज नहीं कराएं गोवा के नागरिक   


गावोंकारी व्यवस्था को हर हालात में बचाना होगा।
सरकार ने डॉ लोहिया की उपेक्षा की है,राज्यपाल से हस्तकचेप की मांग 


30 जनवरी को गांधी स्मृति, दिल्ली से निकली भारत यात्रा की इक्कीसवें दिन यात्रियों ने  गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष दिगंबर कामत से की जिन्होंने गोवा की राजनीति के बारे में बताते हुए कहा की गोवा की राजनीति विचारहीन है। यहां दल बदलने की बुरी  बीमारी है, यहां कब कौनसा नेता कौनसे पार्टी में चला जाए, किसी को नही पता। उन्होंने बताया की धारा 144 लगाकर सरकार एन आर सी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को दबा रही  है। जब उनसे कोल हब के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा की इसका पर्यावरण और स्वास्थ्य पर इसका  बुरा असर पड़ेगा। 


इसके बाद यात्रियों ने म्युनिसिपल हॉल, मरगांव में प्रेस को संबोधित किया। 


प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा की डॉ लोहिया मैदान और डॉ  लोहिया के गोवा मुक्ति आंदोलन के  योगदान की गोवा सरकार उपेक्षा कर रही है। उन्होंने गोवा के राज्यपाल से अपील की कि वे यह  सुनिश्चित करें कि गोवा मुक्ति संग्राम के सेनानियों का सम्मान हो तथा डॉ लोहिया के योगदान को  गोवा के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाए। उन्होंने कहा की गोवा, जिसकी गांवोंकारी व्यवस्था ने महात्मा गांधी और डी डी कोसंबी के स्वराज्य और स्वावलंबन के सपनों को प्रेरणा दी थी, वह अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संघर्ष में लगी हुई है। गोवा के ज़मीन को हड़पने की भूख के चलते,पूंजीपति  गोवा पर टूट पड़े है।  गोवा को लोहे और सीमेंट के ठोस जंगल बनने का खतरा है। प्रदूषण करने वाली फैक्टरियां, अवैध खदान, कैसिनो और बड़े होटलों में गोवा को बर्बाद करने की जंग छिड़ी हुई है। यह गोवा के गावोंकर और उनके वासी ही है जो अपने जल, जंगल और ज़मीन को बचाने और पूंजीपतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे है। गोवा के लोगों को सलाम है उनके जज़्बे के लिए और गोवा के संघर्ष के साथ पूरा देश शामिल है। सरकार चोरी छुपे गोवा को अडानी, वेदांता और जिंदल के लिये कोयले का हब बनाना चाहती है। यह दुख की बात है की ऑस्ट्रेलिया में भी आदिवासी और पर्यावरण प्रेमी, अडानी के खिलाफ लड़ाई में हारते दिख रहे है। इसी तरह गोवा और आस पास के गांव के लोग, जहां कोयले कारखाने डालने की योजना है, संघर्ष कर रहे है। गोवा के संघर्ष की अहमियत भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया तक है। गोवा को अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए धन्यवाद। 56 राजस्व गांव को शहर के श्रेणी में डालने के सरकार आदेश को वापस दिलवाने के किये गोवा के जनांदोलनों को  बधाई दी


यात्रा के बारे में बताते हुए यात्रा के संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा की 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुनर्स्थापना तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थापना, सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, बढ़ती बेरोजगारी एवं गैरबराबरी, मॉब लिंचिंग, करोड़ों आदिवासियों को उजाड़ने की साजिश, दलितों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जुल्मों, गहराते कृषि संकट, श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर चार कोड लागू कर पच्पन करोड़ श्रमिकों के जीवन को असुरक्षित बनाने आदि मुद्दों को लेकर समाजवादी समागम द्वारा राष्ट्र सेवा दल, हिन्द मजदूर सभा, जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, हम समाजवादी संस्थायें, हम भारत के लोग,नशा मुक्त भारत आंदोलन , यूसुफ मेहेर अली सेंटर  फैक्टर ,इंसोको और नशा मुक्त भारत आंदोलन के समर्थन से और  डिजिटल मीडिया पार्टनर पैगाम के साथ भारत जोड़ो संविधान बचाओ समाजवादी समागम यात्रा निकाली गई है।


मरगांव से निकलकर यात्री पंजी पहुंचे जहां 'अलायन्स अगेंस्ट सी .ए. ए. , एन .आर .सी.- एन पी आर' के सदस्यों से मुलाकात की और पंजी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना में एकजुटता प्रदर्शन किया। आसिफ हुसैन, मोइनुद्दीन खान, अधिवक्ता अलबर्टिना अलमेदा,अभिजीत ,डायना , अधिवक्ता क्लेओफात अलमेदा, प्रकाश कामत और रमा कनकोंकर,डॉ रूही, सुरभि ,गाडगिल , दलित और आदिवासी संगठनों के नेता  मुख्य रूप से मौजूद थे। 
यात्रियों द्वारा आज समाजवादी आंदोलन के प्रेरणास्रोत आचार्य नरेंद्र देव जी को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रीधानजली अर्पित की गई।


आसिफ हुसैन ने कहा की यह अलायन्स गोवा के प्रमुख संगठन और कुछ प्रतिष्ठित लोगों का एक समूह है। उन्होंने बताया की गाकु वेद, जो गोवा के धंगर, गौड़ा, वेलिप और कुनबी समाजों का समूह है, ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन काले कानूनों के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करा है। चर्च ने भी आधिकारिक तौर पर सी ए ए को साम्प्रदायिक बताया है। 


मध्य प्रदेश से यात्री अधिवक्ता आराधना भार्गव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की महिला होने के नाते उन्हें फक्र है की देश की महिलाएं आज़ादी के बाद पहली बार परिवर्तन की बड़ी लड़ाई का नेतृत्व कर रही है और समाजवादी समागम की यात्रा के माध्यम से उन्हें इन वीरांगनाओं से मिलने का मौका मिल रहा है।


हरियाणा से यात्री लोकेश भिवानी ने कहा की दुनिया गंभीर पर्यावरण संकट से गुज़र रही है और गांधी के सादगी, स्वावलंबन और मितव्ययिता के विचारों पर चलते हुए पर्यावरण मुखी नीतियां अपनाकर मानवता के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।


झारखंड से यात्री रोहन गुप्ता ने यात्रा का अनुभव के बारे में बताते हुए कहा की यात्रा ने छोटे बड़े, सभी तरह के आंदोलनों को देखा है और समझा है। उन्होंने कहा की कुछ आंदोलन जैसे नर्मदा बचाओ और कागज़ दिखाओ आंदोलन खासकर प्रेरणादायी है। 


महाराष्ट्र से यात्री गणेश भाई ने कहा की सरकारें बदलती है लेकिन किसानों की स्थिति नही बदलती क्योंकि पार्टियों का चिंतन कॉरपोरेट-मुखी है, किसानों और गांव-मुखी नही जैसा गांधीजी चाहते थे। 


इनके अलावा यात्री बाले भाई (मध्य प्रदेश) और अंजना (उत्तराखण्ड) ने भी अपने विचार रखे। 


कल 20 तारीख को यात्री मरगांव के समाजसेवक संस्था, रेनबो वारियर्स से मिले जो की काफी सालों से गोवा में पर्यावरण और मानवीय हकों की लड़ाई लड़ रहा हैं। अभिजीत प्रभुदेसाई (मुख्य सचिव, रेनबो वारियर्स), जॉन फ़र्नान्डिस (समाजसेवक और समाजशास्त्री) और डायना (सदस्य, रेनबो वारियर्स) मुख्य रूप से मौजूद थे। 


गोवा के समस्याओं के बारे में अभिजीत प्रभुदेसाई ने बताया की पूंजीपतियों का किसानों और आदिवासियों के ज़मीनों पर कब्ज़ा करना एक मुख्य समस्या है। गोवा में ही एक जनांदोलन के बाद सरकार ने बोला की वे किसान और आदिविसियों की ज़मीन पर कब्जा नही करेंगी। उन्होंने बताया की गोवा के तटीय क्षेत्र में किसान जो परंपरा गत  खेती करते है, और मछुआरे जो मछली पकड़ते है, वे उसे आपस में बराबर बांटते है। 


जॉन फ़र्नान्डिस ने बताया की सरकार की विकास और शहरीकरण की प्रक्रिया के चलते  आम लोगों का एक बड़ा  तबका पीछे छूट गया  है।


उल्लेखनीय है कि पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में  पूरी होगी । जहां डॉ लोहिया के जन्मदिवस और शहीद भगत सिंह जी के शहादत दिवस के अवसर पर समाजवादी समागम आयोजित किया जाएगा। 


समाजवादी समागम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन , समाजवादी आन्दोलन एवं संवैधानिक मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।