एक मरता हुआ शहर !


एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले चीन के शहर वुहान में पिछले कई दिनों से मरघट का सन्नाटा पसरा हैं। वहां की सड़कें सुनसान हैं। यातायात के साधन बंद हैं। लोग घरों में कैद हैं। कोरोना नाम के किसी रहस्यमय वायरस के प्रकोप से लोग घरों में भी मरने लगे हैं और सड़कों पर चलते-फिरते भी। शहर के संभवतः एक लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और यह संक्रमण तेजी से चीन के दूसरे हिस्सों में और पर्यटकों के माध्यम से दूसरे देशों में भी फैलने लगा है। सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है और युद्ध स्तर पर नए अस्पतालों का निर्माण हो रहा है। अगर यह वायरस कमज़ोर नहीं पड़ा तो अगले एक-दो महीनों में वुहान शहर शायद श्मशान में तब्दील हो जाएगा। किसी को ठीक-ठीक पता नहीं कि मनुष्यों में यह वायरस कहां से आया और यह दूसरों में संक्रमित कैसे होता है। अनुमान है कि यह जानवरों के कच्चे या अधपके मांस द्वारा हमारे भीतर आया और हमारी सांसों के सहारे फैलता है। विश्व स्वास्थ संगठन ने कल इसके मद्देनजर वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस को समझने में लगे हैं। अनुमान है कि अगले छह महीनों में इसका प्रतिरोधक टीका विकसित कर लिया जाएगा। 


मतलब अगले लगभग छह महीनों तक दुनिया कोरोना वायरस के रहमोकरम पर होगी। हम अपनी मांसाहार की आदतों में बदलाव, ज़रूरत के मुताबिक मास्क इस्तेमाल करने और ईश्वर से वुहान, चीन और दुनिया की सलामती की दुआ के सिवा क्या कर सकते हैं ?


ध्रुव गुप्त


लेखक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हैं