डाक्टर कफील हाथ मे "वास्ते रिहाई" की मुहर मगर रिहाई नही ।कफील से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। 

 


कर्नाटक के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, और बाल्य रोग विशेषज्ञ। गूगल कीजिये, तीन तरह की तस्वीरें मिलेंगी। झुग्गियों और कीचड़ के बीच स्टेथस्कोप लटकाया डाक्टर कफील, प्रेस और पब्लिक के बीच बातें करता एक्टिविस्ट कफील, जेल कोर्ट और पुलिस के बीच उलझा कफील।


पीडियाट्रिक्स की शाखा, कमाने के उद्देश्य से साधारण है। अगर आपके बाप के पास पैसा है, एमबीबीएस की डिग्री है तो आगे बाल्य रोग विशेषज्ञ बनना बेवकूफी होती है।जाहिर है कि कफील शुरू से बेवकूफ है। सीएम के गृहनगर के सरकारी हस्पताल में डॉक्टरी करता है। बच्चे मरने लगते हैं तो अपनी गाड़ी में शहर के नर्सिंग होम्स भर भर कर लाये सिलेंडर से जान बचाने की कोशिश करता है।


यही बेवकूफी गले पड़ जाती है। सरकार बहादुर सरकारी सिलेंडर चुराकर बेचने का इल्जाम लगाती है, तो कफील को मान लेना था। एक मुसलमान डाक्टर अगर बकरा न बने, तो फिर कौन बनता। कफील मस्ट हैव प्लीडेड गिल्टी..!! 


लेकिन नही। बेवकूफ कफील अपनी बेगुनाही पर अड़ जाता है। सरकार का झूठ पकड़ा जाता है। सरकार दूसरा झूठ मढ़ती है, ये कि कफील ने ऑक्सीजन वालों का पेमेंट रोक दिया। कम से कम इस बार कफील को मान लेना था। मगर वो फिर साबित कर देता है कि दूर दूर तक फिनांस और पेमेंट में उसका कनेक्शन नही था। 


पर बात इन बेवकूफियो से आगे जा चुकी है। बात बगावत तक जा पहुंची है। बगावत तो बर्दाश्त नही होती। कफील अब देश मे घूमने लगा है, कहीं बाढ़ आये-तो राहत देने, कहीं गन्दी बस्ती हो तो मुफ्त इलाज करने। इसकी जरूरत क्या है??? 


और जरूरत क्या है कि CAA के खिलाफ भी बोलने लगा है। भाईचारे की बात करता है। इस देश की मिट्टी में मरने की बात कहता है। देशद्रोह का इससे बड़ा सबूत क्या चाहिए। ऐसी भड़काऊ बातों के लिए इस कैद किया गया। इस बदमाश ने जमानत ले ली। तो छूटते ही दोबारा कैद कर लिया गया। अबकी बार रासुका लगाकर। अब प्रिवेंटिव कस्टडी में रखा जा रहा है। जमानत का चांस ही नही। 


यकीन कीजिये, कफील खतरा है देश के लिए। उसका शिक्षित होना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। उसका समझदार होना खतरा है। उसका बोलना खतरा है। उसका होना खतरा है। 


मैं सहमत हूँ। एक डाक्टर का कफील बना दिया जाना खतरा है।


Manish Singh