भारत जोड़ो - संविधान बचाओ  यात्रा  मध्यप्रदेश में पहुंची

विभाजनकारी राजनीति को परास्त करना ऐतिहासिक आवश्यकता
गांधीजी के मूल्यों को अपनाकर ही समाज और देश का सच्चा विकास होगा
 
भारत जोड़ो - संविधान बचाओ, समाजवादी विचार यात्रा की सातवें दिन की शुरुआत बाँसवाड़ा में गांधीजी की मूर्ति के माल्यार्पण से हुई। बाँसवाड़ा से निकलकर यात्रा रतलाम पहुंची जहां 'हम भारत के लोग' के सदस्यों ने यात्रियों का स्वागत किया और प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ। प्रेस वार्ता में पारस सकलेचा (रतलाम से पूर्व विधायक), राजेन्द्र अग्रवाल, गोविंद लाल शर्मा, हर्ष गहलोत सैलाना विधायक, रामबाबू अग्रवाल, रामस्वरूप मंत्री, मंसूरी पत्रकार, नीलू अग्रवाल और यासीन मलवासा विशेष रूप से उपस्थित थे।


रतलाम में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए यात्रा संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी जी की 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर स्वतंत्रता आन्दोलन और समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुनर्स्थापना तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थापना, सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, बढ़ती बेरोजगारी एवं गैरबराबरी, मॉब लिंचिंग, करोड़ों आदिवासियों को उजाड़ने की साजिश, दलितों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जुल्मों, गहराते कृषि संकट, श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर चार कोड लागू कर पच्पन करोड़ श्रमिकों के जीवन को असुरक्षित बनाने आदि मुद्दों को लेकर समाजवादी समागम यह यात्रा लेकर निकली है। 


 डॉ. सुनीलम ने कहा की विभाजनकारी राजनीति को समाप्त करना देश की ऐतिहासिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गाँधीजी के मूल्यों को अपनाकर ही देश का सच्चा विकास किया जा सकता है।


प्रेस वार्ता के बाद यात्रियों ने रतलाम में ही गांधीजी और बाबा साहेब अम्बेडकर की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया। इस कार्यक्रम में पारस सकलेचा, रामस्वरूप मंत्री, रामबाबू अग्रवाल, उज्जैन से मंसूरी उपस्थिति थे। रतलाम से निकलकर यात्रा समाजवादी चिंतक मामा बालेश्वर दयाल के समाधि स्थल बामनिया (झाबूआ) पहुंची। बामनिया में भील आश्रम के संचालक, मूर्ति भाई, सत्यनारायण शर्मा, राजेश बैरागी, बालाजी डामोर, गोपाल डामोर, कमलेश परमार, रामस्वरूप मंत्री और बामनिया के नागरिक उपस्थित थे। यात्रियों ने मामाजी की समाधि पर मामाजी के बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। 


यात्रा संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा की मामाजी के विचारों का अनुसरण करके ही समाजवादी आंदोलन को पुनः मज़बूत किया जा सकता है। डॉ. सुनीलम ने कहा की मामा बालेश्वर दयाल जी गांधीजी की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक विकास के जिस मॉडल को भीलांचल के सामने रखा, वही विकास का सही रास्ता है। 


सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष, रामस्वरूप मंत्री ने कहा की गांधीजी की हत्या के बाद समाजवादी आन्दोलन ने गांधी की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है जिसका नेतृत्व लोहिया जी और जे.पी ने किया। 
बामनिया से पेटलावद होते हुए यात्रा सम्पर्कग्राम पहुंची जहां नीलेश देसाई एवं साथियों द्वारा यात्रियों का स्वागत किया गया। नीलेश देसाई जी ने गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जैविक खेती एवं देसी बीजों के महत्व पर प्रकाश डाला। 


सम्पर्क संस्था के प्रमुख नीलेश देसाई ने कहा की हर समस्या का निदान वहीं के लोगों द्वारा किया जाना चाहिए, सच्चा स्वराज जनता द्वारा ही लाया जा सकता है। कर्ज़ा मुक्ति का तरीका ग्राम कोष बनाना था, पानी की समस्या का निदान भी लोगों ने ही किया। हमने बीज बैंक बनाएं, 700 से ज्यादा साथी स्थानीय समस्याओं पर काम कर रहे हैं।


बुनियादी शाला की प्राचार्या प्रक्षालि जी ने कहा कि स्वाबलंबी जीवन जीने के लिए शिक्षा देने का प्रयास हम गत 15 वर्षों से कर रहे हैं।


यात्रियों ने स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ गांधी जी के विचार सांझा किये। यात्रा का पेटलावद, झाबुआ और मेघनगर में स्वागत हुआ। 


पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में पूरी होगी । इस चरण में यात्रा 16 राज्यों से गुजरेगी। दूसरा चरण 11 अप्रैल को चंपारण से शुरू होकर 17 मई को पटना में पूरा होगा, इस दौरान 10 राज्यों की यात्रा की जायेगी। तीसरा चरण 11 अक्टूबर को सिताबदियारा (बलिया) से शुरू होकर 31 अक्टूबर को नरेंद्र निकेतन, दिल्ली में समाप्त होगा। समाजवादी विचार यात्रा हेतु देशभर में 500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। यात्रा का नेतृत्व सयोजक अरुण श्रीवास्तव एवं सह सयोजक (पूर्व विधायक) डॉ. सुनीलम कर रहे हैं।


समाजवादी समागम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन एवं समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।