डॉ लोहिया होते तो कश्मीर में लोकतंत्र बहाली के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे होते।
कोंकण की शान समाजवादी नेता नाथ पाई के स्मृति केंद्र सेवांगन का कार्य प्रेरणादायी और अनुकरणीय
30 जनवरी को गांधी स्मृति, दिल्ली से निकली भारत यात्रा की बीसवें दिन 85 कार्यक्रमों के बाद की एस एम जोशी संकुल, मालवन पहुंची , जहां संजय भीमसेन (संस्थापक, श्री सिद्धिविनायक गणेश ट्रस्ट) और साथियों द्वारा यात्रा का स्वागत किया गया ।
यात्रा संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि नाथ पाई की समाज वादी विचार परंपरा को मधु दंडवते जी ने आगे बढ़ाया।दोनो ने महान संसद विद के तौर पर ख्याति अर्जित की
समाजवादी समागम के महामंत्री डॉ सुनीलम ने बताया की
समाजवादियों के प्रेरणास्रोत नाथ पाई एक ओर जहां कोंकण ने सघन राजनीतिक कार्य किया करते थे दूसरी ओर उन्होंने इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सोशलिस्ट यूथ का 10 वर्षों तक 120 देशों में नेतृत्व किया।
डॉ सुनीलम ने कोंकण की शान समाजवादी नेता नाथ पाई के स्मृति केंद्र सेवांगन के कार्य को प्रेरणादायी और अनुकरणीय बताया ।
श्री सिद्धिविनायक ट्रस्ट ,बैरिस्टर नाथपाई की स्मृति में 1980 में बनाया गया था, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री मधु दंडवते जी। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष रह चुके है।
व्यवस्थापक संजय भीमसेन ने बताया कि यह ट्रस्ट किसानों के बीच में काम करने तथा जो बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते है, उनकी पढ़ाई के लिए बनाया गया है। ट्रस्ट परिसर स्थित साने गुरुजी वाचनालय की स्थापना 1996 में की गयी है , जहां 17,364 पुस्तकें है। यह संस्था अनाथ बच्चों को खाना खिलाती है तथा अस्पताल में दो समय का भोजन कराती है। उन्होंने बताया की प्रमिला दंडवते जी की स्मृति में परिवार परामर्श केंद्र की स्थापना की गयी है जिसमें पारिवारिक मामलों को सुलझाया जाता है।अब तक 5 हज़ार के अधिक परिवारों के झगड़े सुलझाए जा चुके है।
इसके बाद यात्रा मडगांव पहुंची जहां गोवा मुक्ति आंदोलन के नेता डॉ राम मनोहर लोहिया के मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि डॉ लोहिया गोवा के लोकनायक है क्योंकि उन्होंने ही देश के समाजवादियों के साथ मिलकर गोवा को पुर्तगाली शासकों से मुक्त कराया था,आज भी गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर को मनाया जाता है ,जब गोवा का हर नागरिक डॉ लोहिया को श्रीधपूर्वक याद करता है।उल्लेखनीय है कि गोवा भारत को आज़ादी मिलने के 14 वर्ष बाद 1961 में आज़ाद हुआ था।
पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि डॉ लोहिया ने नागरिक अधिकारों को लेकर आजीवन संघर्ष किया लेकिन गत 198 दिन से जम्मू कश्मीर के नागरिकों को संचार सेवाएं उपलब्ध नहीं है,उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है परंतु कश्मीरियों के मानवाधिकारों के प्रति आम भारतीय का उदासीन रवैय्या बतलाता है ,कि वह कश्मीर इलाके( भूमि ) से प्रेम करता है ,कश्मीरियों से नहीं ,उन्होंने कहा यही कश्मीरियों की आम भारतीयों से शिकायत है,जो एकदम जायज है।डॉ सुनीलम ने कहा कि लोहिया होते तो वे आज जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली ( कश्मीरियों की मुक्ति) की लड़ाई लड़ रहे होते।
यात्रियों ने गोवा के जनसंगठनों एवं गोवा अलायन्स अगेंस्ट सी सी ए - एन आर सी- एन पी आर के सदस्यों से मुलाकात की।
कल यात्रियों द्वारा 11 बजे म्युनिसिपल हाल में प्रेस कांफ्रेंस संबोधित की जाएगी था जन संगठनों के साथ 5 बजे बैठक की जाएगी। परसों यात्रा बेलगाँव ,कर्नाटक में प्रवेश करेगी ।
उल्लेखनीय है कि 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुनर्स्थापना तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थापना, सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, बढ़ती बेरोजगारी एवं गैरबराबरी, मॉब लिंचिंग, करोड़ों आदिवासियों को उजाड़ने की साजिश, दलितों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जुल्मों, गहराते कृषि संकट, श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर चार कोड लागू कर पच्पन करोड़ श्रमिकों के जीवन को असुरक्षित बनाने आदि मुद्दों को लेकर समाजवादी समागम द्वारा राष्ट्र सेवा दल, हिन्द मजदूर सभा, जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, हम समाजवादी संस्थायें, हम भारत के लोग,नशा मुक्त भारत आंदोलन , यूसुफ मेहेर अली सेंटर फैक्टर ,इंसोको और नशा मुक्त भारत आंदोलन के समर्थन से और डिजिटल मीडिया पार्टनर पैगाम के साथ भारत जोड़ो संविधान बचाओ समाजवादी समागम यात्रा निकाली गई है।
उल्लेखनीय है कि पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में पूरी होगी । जहां डॉ लोहिया के जन्मदिवस और शहीद भगत सिंह जी के शहादत दिवस के अवसर पर समाजवादी समागम आयोजित किया जाएगा।
समाजवादी समागम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन , समाजवादी आन्दोलन एवं संवैधानिक मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।