भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फरवरी को मुकेश कुमार विरुद्ध उत्तराखण्ड राज्य के मामले में पारित आदेश को आश्चर्यजनक एवं संविधान की मूल भावना की विपरीत बताया। नाथ ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को सीधी भर्ती और पदोन्नति में आरक्षण नहीं देने की बात जो कही है वह भाजपा की दोमुंही नीति और उसके असली चेहरे को जनता के सामने उजागर करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने जो सोच व्यक्त की है अनुसूचित और जनजाति वर्ग के प्रति उनकी असलियत को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि जबकि उत्तराखंड सरकार ने जो विशेष समिति गठित की थी उस समिति की रिपोर्ट को भी दरकिनार किया। समिति ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में सरकारी सेवा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने न्यायालय में आरक्षण का विरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की यह सोच दलित और आदिवासी वर्ग के हितों का विरोध है।
संविधान की भावनाओं के खिलाफ काम कर रही केंद्र सरकार
सीएम ने कहा, भाजपा निरंतर एससी और एसटी वर्गों के हितों के विरोध में निर्णय ले रही है और संविधान की भावनाओं के खिलाफ काम कर रही है। संविधान में बाबा साहब अंबेडकर ने कमजोर वर्गों को सामाजिक, आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने आरक्षण का अधिकार दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान की भावनाओं का सम्मान करते हुए एससी और एसटी वर्ग को शासकीय सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण देने का कानूनी प्रावधान किया था। कांग्रेस पार्टी किसी भी सुरत में इन प्रावधानों को खत्म नहीं होने देगी। आरक्षण व्यवस्था को जारी रखने के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।