बीजेपी के राज में उत्तर प्रदेश की भयावह स्थिति।दलितों की हड्डी पसली तोड़ी गई।

कानपुर,18 फरवरी 2020.



महामहिम राष्ट्रपति जी के पैतृक जिले तथा उनके गांव के कुछ नजदीक थाना गजनेर के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम मंगटा के दलित ग्रामीणों को उसी गांव के कुछ तथाकथित ऊंची बिरादरी के लोगों ने मार-मार कर अधमरा कर दिया।जातीय हिंसा इसी को कहते हैं।
आज वामपंथी तथा जनवादी पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ से कानपुर आया और कानपुर के उर्सला अस्पताल में भर्ती लगभग 19 स्त्री पुरुषों से मिला।
अधिकतर स्त्रियां ही वार्ड के बिस्तरों पर घायल अवस्था में लेटी हुई थी ।जिनमें से अधिकतर भूमि हीन खेतिहर मजदूर हैं।
एक बिस्तर पर एक 5 वर्षीय नन्हा बालक भी लेटा हुआ था , जिसको भी गंभीर चोटें लगी हुई थी। अन्य स्त्रियों के अतिरिक्त दो छोटी उम्र की इंटर और बीएससी की छात्राएं भी गंभीर घायल अवस्था में इमरजेंसी वार्ड में अपने इलाज के लिए बिस्तर पर लेटी हुई थी।
लखनऊ से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी )के राज्य सचिव डॉ हीरा लाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सहायक सचिव कामरेड अरविंद राज स्वरूप, तथा लोकतांत्रिक जनता दल के राज्य अध्यक्ष श्री मोहम्मद जुबेर कानपुर आए,किसान नेता कामरेड मुकुट सिंह यादव भी साथ रहे। 
इन नेताओं की कानपुर अस्पताल के परिसर में स्थानीय नेताओं ने अगवानी की ।
अगवानी करने वाले स्थानीय नेताओं में लोक दल के प्रांतीय प्रवक्ता श्री सुरेश गुप्ता, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड राम प्रसाद कनौजिया एवं सह सचिव श्रीमती मीनाक्षी सिंह ,भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जिला सचिव कामरेड अशोक तिवारी एवं वरिष्ठ नेता कामरेड गोविंद नारायण , लोकतांत्रिक जनता दल के नगर अध्यक्ष श्री प्रदीप यादव एवं लखनऊ से पधारे श्री बाबर आदि प्रमुख थे। 
लखनऊ से आने वाले नेताओं ने उस पूरे वार्ड का मुआयना किया जिसमें 16 स्त्री पुरुष और एक नन्हा बच्चा भर्ती था और जिनका इलाज चल रहा है।


नेताओं ने देखा की कितनी दरिंदगी से इलाज करवा रही स्त्रियों को मारा गया था।


किसी का हाथ टूटा हुआ था, तो किसी का पैर। किसी को लाठी से मारा गया था तो किसी को कुल्हाड़ी से । किसी के हाथ में प्लास्टर बंधा है तो किसी के पैर में प्लास्टर बंधा है। किसी किसी के तो हाथ और पैर दोनों में प्लास्टर बंधा है।


 यही नहीं कुल्हाड़ी  से सर पर वार किया गया, किसी के सर में 10 टाँके तो किसी के 20।किसी के 9 तो किसी के  8 ।


गंभीर चोट खाए प्राणियों को देखने वाले सिसकी भरने लगे,सिरहन सी दौड़ गई।


सन 2020 में कोई इतना वहशीपन और दरिंदगी कर सकता है इसको देखकर कोई भी हक्का बक्का हो सकता है।


बिस्तर पर पड़े घायल लोगों ने बताया कि उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने 8 फरवरी को भीम कथा वहां करवाई थी ।
यह कथा वहां के कुछ सवर्णों को नहीं भाई।
स्त्रियों ने बताया कि उन्होंने मना किया था कि यह कथा न करवाएं । परंतु कथा तो हुई , जिसका नतीजा हुआ कि 13 फरवरी को तथाकथित ऊंची बिरादरी के कुछ ओछो और शातिरों नें साजिश करके दलितों के घरों पर हमला कर दिया ।
मारा पीटा ,घायल किया ।
लगभग जान से मार देने की कोशिशें हुई ।
स्त्रियों के कपड़े तक को खींचा। 


पुलिस को सब पता था परंतु पुलिस ने कुछ ना किया।


पुलिस ग़रीबों और दलितों की रक्षा करने में नाकामयाब रही ।


आज वह सब दलित परिवार अस्पतालों में पड़े हुए हैं और अपना इलाज करवा रहे हैं ।


वहां गए नेताओं ने घायल पड़े ग्राम वासियों को आश्वस्त किया कि वह उनकी आवाज सरकार तक उठाएंगे । पूरे देश को बताएंगे और उनको न्याय दिलवाने के लिए संघर्ष करेंगे ।


हॉस्पिटल जानें वाले जत्थे में आभा शुक्ला, पवन शुक्ला,प्रताप साहनी, मोहमद वशी,उमाकांत,विनोद पांडेय,अक्षय सिंह आदि अन्य अनेकों लोग रहे।
हॉस्पिटल के बाद भारतोय कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालय में मंत्रणा करते हुए नेता।

अनेकों फोटो हैं जो डाली नहीं जा रही हैं।