अहमदाबाद। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने ‘असहमति’ को लोकतंत्र का ‘सेफ्टी वॉल्व’ करार देते हुए शनिवार को कहा कि असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी बता देना लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने कहा कि विचारों को दबाना देश की अंतरात्मा को दबाना है।
जस्टिस चंद्रचूड़ की टिप्पणी ऐसे वक्त आई है, जबकि देश में नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर के खिलाफ देशभर में आंदोलन चल रहे हैं और सरकार दमन की दम पर उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है, जिसे लेकर व्यापक पैमाने पर हिंसा हो रही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अहमदाबाद में गुजरात हाई कोर्ट के ऑडिटोरियम में 15वें पी. डी. मेमोरियल लेक्चर में ये बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है जो कानून के शासन का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, ‘असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण एवं विचार-विमर्श करने वाले लोकतंत्र को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता की मूल भावना पर चोट करती है।’