अब राजधानी दिल्ली पर उन्ही विचारधाराओं का कब्जा है जो एक 80 साल के बूढ़े निहत्थे आदमी को मार डालने को अपनी मर्दानगी समझते हैं

नोआखली में दंगे हो रहे थे। गांधी पहुँचे। उन्होंने पूरे इलाके में नँगे पांव यात्रा करना शुरू किया।


लोगों ने पूछा कि नँगे पांव क्यों चल रहे हैं?
गांधी ने कहा कि आप लोगों ने इतना खून बहाया है कि पूरा इलाका समाधि और मजार बन गई है, मैं कैसे चप्पल पहनकर चलूं?
यह फोटो उसी दौर की है। जीडी तेंदुलकर ने खींची थी। कितना आश्चर्य होता है कि एक 80 साल का बुड्ढा अकेले दंगाइयों के बीच एक लाठी लेकर निकलता था। लोग हथियार फेंक देते थे। जब तक गांधी नोआखली में रहे और जहां तक संदेश पहुँच पाया कि गांधी आया है, लोगों ने मारकाट छोड़ दी। कोई हिन्दू नहीं, कोई मुसलमान नहीं। 
सच में। यह भारत में ही सम्भव था। 


और गांधी को मारा किसने? कहाँ मारा? उस जगह, जहां भारत की राजधानी थी।


जो इलाका कुछ दिनों बाद पाकिस्तान बन गया, उस इलाके में गांधी के ऊपर किसी ने एक कंकड़ भी नहीं फेंका था।


अब राजधानी दिल्ली पर उन्ही विचारधाराओं का कब्जा है जो एक 80 साल के बूढ़े निहत्थे आदमी को मार डालने को अपनी मर्दानगी समझते हैं। गार्गी कॉलेज में जो हुआ है, वह इसी का परिणाम है।


सत्येंद्र पी एस